डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Navpravah Desk
अदाकार की ज़िंदगी का फ़लसफ़ा होता है, किरदार को ख़ुद में और ख़ुद को किरदार में ऐसे शामिल कर लेना कि फिर जहाँ भी, उसकी बात हो, किरदार का ख़याल पहले आए और उसके नाम की याद बाद में।
फ़िल्मों में ऐसे बहुत से अदाकार हुए हैं, जिनके निभाए गए किरदारों की उम्र, उनकी ख़ुद की ज़िंदगी से लंबी रही है। अमरीश पुरी को आज भी कई लोग ज़ालिम ठाकुर के रूप में याद करते हैं, केश्टो मुखर्जी का नाम आते ही, एक पियक्कड़ क़िस्म के इंसान का ख़याल आ जाता है। लेकिन कुछ अदाकार अपने किसी ख़ास किरदार के लिए नहीं बल्कि एक ख़ास रंग रूप में ऐसे दर्शकों के ज़ेहन में चस्पा हो जाते हैं कि उन्हें बार बार वैसे ही देखने की आदत सी हो जाती है। जगदीश राज खुराना एक ऐसे ही अदाकार रहे हैं।
इनका जन्म 1928 में पंजाब में हुआ और अब वो हिस्सा, बंटवारे के बाद, दूसरे मुल्क़ में पड़ता है। बचपन से ही इनका मन खेलकूद में ख़ूब लगता था। 1956 में आई फ़िल्म CID, राज खोसला बना रहे थे और इसके निर्माता गुरूदत्त थे। फ़िल्म में एक ऐसे अदाकार की ज़रूरत थी, तो मज़बूत सा हो और इत्तेफ़ाक़ से जगदीश राज खुराना को ये रोल मिला। 1960 के दशक में भी इन्होंने, “काला बाज़ार” और “हम दोनों” जैसी फ़िल्मों में काम किया और छोटे रोल निभाते हुए इनका फ़िल्मी सफ़र अच्छा चल रहा था।
“1970 में आई, “जॉनी मेरा नाम” में इन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाया और इसके बाद ये इतनी बार पुलिस ऑफिसर बने कि इनका नाम “गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” में दर्ज़ हो गया। इन्होंने 144 बार पुलिस की वर्दी फ़िल्मों में पहनी, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। इनके अदायगी की एक ख़ास बात थी कि ये कभी भी जल्दी में या आश्चर्यचकित दिखाई नहीं दिए स्क्रीन पर।”
इनका संवाद भी बड़ा सरल और बहुत कम भंगिमाओं वाला होता था। इन्होंने ,”दीवार”, “मजदूर”, “ईमान धरम”, “बेशरम”, “राम तेरी गंगा मैली” समेत, 250 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया। प्रसिद्ध अभिनेत्री, अनीता राज, इनकी बेटी हैं और उन्होंने भी हिन्दी फ़िल्मों में अच्छा काम किया है।
इनकी पोती मालविका राज भी, “कभी ख़ुशी, कभी ग़म” में करीना कपूर के बचपन का रोल करती नज़र आई थीं।
2013 में, जगदीश राज, इस दुनिया से चल बसे, लेकिन उनकी पुलिस इंस्पेक्टर के लिबास में एक तस्वीर जो हमारे ज़ेहन में बैठी हुई है, वो कभी नहीं मिटेगी।
(लेखक जाने-माने साहित्यकार, स्तंभकार, व शिक्षाविद हैं.)