कीर्ति चिदंबरम पर ED ने लिया एक्शन, करोड़ों की संपत्ति जब्त की

कीर्ति चिदंबरम पर ED ने लिया एक्शन, करोड़ों की संपत्ति जब्त की
कीर्ति चिदंबरम पर ED ने लिया एक्शन, करोड़ों की संपत्ति जब्त की

सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com 

आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कीर्ति चिदंबरम की देश-विदेश में स्थ‍ित करोड़ों की संपत्त‍ि जब्त कर ली गई है, केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने INX मीडिया मामले में एक बड़ी कार्रवाई कोअंजाम देते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की कई चल- अचल संपत्तियों को अटैच कर लिया है।
कंपनी की कोडाइकनाल स्थि‍त 25 लाख की कृषि‍ भूमि, ऊटी स्थ‍ित 3.75 करोड़ का बंगला, ऊटी के कोथागिरी स्थ‍ित 50 लाख की कीमत का बंगला और नई दिल्ली के जोरबाग स्थित 16 करोड़ की संपत्त‍ि जब्त की है।
वहीं, ईडी ने विदेश में भी संपत्त‍ि जब्त की है, इसमें यूके समरसेट में 8 करोड़ की कीमत वाला फार्म और घर और स्पेन के बार्सिलोना में जमीन जब्त की है, जिसकी कीमत करीब 14 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा ASCPL के नाम से डीसीबी बैंक में 90 लाख की फिक्स्ड डिपॉजिट, कार्ति के नाम से इंडियन ओवरसीज बैंक में मौजूद 9.23 करोड़ की धनराशि भी जब्त की है, ईडी के मुताबिक जब्त संपत्त‍ि की कुल कीमत 54 करोड़ रुपये है।
आईएनएक्स मीडिया केस में आरोप है कि 2007 में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ने आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम प्राप्त करने के लिए अनुमति प्रदान करने में अनियमित्तायें की हैं, इस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।
सीबीआई ने शुरू में आरोप लगाया था कि कार्ति ने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाने के लिए दस लाख रुपए की रिश्वत ली, बाद में उसने इस आंकड़े में परिवर्तन करते हुए इसे दस लाख अमेरिकी डॉलर बताया था।
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल एयरसेल-मैक्सिस मामले में सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तारी से दिया गया अंतरिम संरक्षण एक नवंबर तक बढ़ा दिया ग्रुप है।
सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने कैसे एक विदेशी कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिला दी जबकि सिर्फ कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति को ऐसा करने का अधिकार था।

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