महाराष्ट्र में दिखा बंद का असर, मुंबई समेत कई जिलों में दलितों का उग्र प्रदर्शन

protest in mumbai maharashtra

राजेश सोनी | Navpravah.com 

पुणे के भीमा-कोरेगांव में सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान हिंसा हुई थी। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे। इस हिंसा की आग अब मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई शहरों में पहुँच गई है। दलित संगठनों ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद आज बुधवार को पूरा महाराष्ट्र बंद करने का ऐलान किया था। इस बंद का असर मुंबई शहर में काफी हद तक नजर आ रहा हैं।

भारिप बहुजन महासंघ के नेता और बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए आज महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। हालाँकि, हिंसा के माहौल को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर महारष्ट्र में आज सारे स्कूल और शिक्षा के स्थानों को एतियातन बंद कर दिया गया है। वहीं मुंबई के डिब्बेवालों ने भी अपना कामकाज आज बंद रखने का फैसला किया है। हिंसा फैलने से रोकने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई हैं। 

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जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद पर मामला दर्ज-

इससे पहले मंगलवार को हिंसा के आरोप गुजरात के विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर लगे है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मंगलवार देर शाम अक्षय बिक्कड और आनंद डॉन्ड नाम के दो युवकों ने पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद के खिलाफ लिखित शिकायत देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। शिकायत पत्र में आरोप लगाया गया है कि जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद ने 31 दिसंबर को कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद यह हिंसा फैली है।  
 
गुजरात से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवानी पर आरोप है कि इन्होंने अपने भाषण के द्वारा सभा में उपस्थित लोगों को उकसाया था। वहीं जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद ने भी विशेष जाति के लोगों को अपने भाषण द्वारा भड़काया और उनके सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए उकसाया। जिसके बाद ही एक व्यक्ति सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए उतर गया, बाद में इस प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया। पुणे में, पिंपरी में हिन्दू एकता आघाडी के प्रमुख मिलिंद एकबोते तथा शिवराज प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। मुंबई पुलिस ने बताया इस इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने 160 से ज्यादा बसों में तोड़फोड़ की थी। वहीं पुलिस ने इस हिंसक प्रदर्शन पर कार्यवाई करते हुए 100 से ज्यादा प्रदर्शनकरियों को हिरासत में ले लिया है। 
 
दरअसल, पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं। ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे। हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था।

पुलिस के अनुसार, जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे, तो मंगलवार दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई, इसकी सही जानकारी नहीं प्राप्त हुई है। 

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