ShikhaPandey@Navpravah.com
संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से अनुरोध किया कि वे संविधान के मूल्यों का आदर व पालन करें जिससे हमारे पूर्वज,हमारे देश निर्माता हम पर गर्व का अनुभव करें। संविधान के शीतकालीन सत्र की शुरुवात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वाद विवाद,चर्चा और विचार अभिव्यक्ति तो संसद की आत्मा हैं। संसद को वार्ता का सबसे बड़ा केंद्र बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में जब उत्तम वाद विवाद ,उत्तम चर्चा और नए नए विचार प्रस्तुत होंगे तभी संसद में चमक आएगी।
गौरतलब है कि गुरुवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष असहिष्णुता के मामले पर सरकार को पूरी तरह से घेरने की तैयारी में है। जबकि सत्ता पक्ष भाजपा के कई महानुभावों का ऐसा मानना है की बेवजह इस विषय को ज़रूरत से ज़्यादा तूल दिया जा रहा है जिससे देश की छवि ख़राब हो रही है।हालाँकि सरकार ने सूचित किआ है कि वह इस विषय पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है।
संसदीय सत्र की शुरुवात से पूर्व संसद के बाहर प्रधानमंत्री बोले कि हमारा संविधान उम्मीद(HOPE)की किरण है जहाँ H से तात्पर्य है harmony,O से opportunity,P से people’s participation और E से equality।
सभी पार्टियों के साथ हुई बैठक का ज़िक्र करते हुए वे बोले कि सभी दाल सदन की शांतिपूर्ण कार्यवाही के लिए सहमत हैं तथा विपक्ष का भी मत है की सदन उत्तम तरीके से चले। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुवात में जहाँ असहिष्णुता मामले पर विवाद गर्माने की उम्मीद है वहीं जी एस टी विधेयक पर नरमी के आसार नज़र आ रहे हैं।