अनुज हनुमत
वैसे तो छात्र संघ और विवि प्रशासन के बीच आनलाइन के साथ आफलाइन की मांग संबंधी विवाद उसी दिन ख़त्म हो गया था, जिस दिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दिल्ली से फैक्स भेज दिया था। पर कल बुधवार को विवि प्रवेश समिति की बैठक में पीजी लॉ, बीएड समेत सभी कोर्स में प्रवेश लेने के लिए आनलाइन के साथ आफलाइन परीक्षा को मंजूरी देने के साथ अब कैम्पस के माहौल में एक बार फिर शांति दिख रही है। पर अभी पूर्ण रूप से विवाद ख़त्म नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि बीते मंगलवार को पत्रकारों से वार्ता के दौरान कुलपति महोदय ने ऐसा बयान दे दिया जिससे तमाम छात्र संघ नेता सहित बीजेपी का आलाकमान भी प्रो. हांगलू से नाराज हो गया है।
असल में बीते मंगलवार मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से आफलाइन विकल्प संबंधी निर्देश मिलने के बाद कुलपति प्रो. हांगलू अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह निर्णय आश्चर्यजनक है, इससे न छात्रों का भला होगा ,न ही विश्वविद्यालय का। यह फैसला विवि को और पीछे ले जायेगा। एमएचआरडी के निर्णय से आहत कुलपति यही नहीं रुके ,बोले अगर मंत्रालय को लगता है कि मैं अपना काम ठीक से नहीं कर रहा हूँ तो मुझे हटा दें। मैं बच्चों को पढ़ाकर अपना जीवन व्यतीत कर लूंगा। यहाँ किसी सांसद या दूसरे नेता का कुलपति बनाकर विश्वविद्यालय चलवा लिया जाये।
बताते चले कि पीजी एंट्रेस में आफलाइन की मांग को लेकर विवि में पिछले दिनों काफी कुछ उथल पुथल रही। छात्र संघ अध्यक्ष ऋचा सिंह सहित सभी पदाधिकारियों सहित कई छात्र नेता आमरण अनशन पर बैठ गए थे। कुलपति प्रो. हांगलू का कहना है कि जब कुलपति के पास कोई अधिकार ही नहीं है, हर निर्णय पर नेतागिरी कर उसे पलट ही देना है, यहां बैठने का क्या औचित्य ? वीसी का कहना है कि आनलाइन का निर्णय उनका अपना नहीं था ,यह यूजीसी का ही निर्देश था। उन्होंने कहा कि इविवि के कुछ शिक्षकों पर करोड़ों के गबन का आरोप है , मेरे आने के बाद वह असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मुझे परेशान करने के लिए वह छात्रों को उकसा रहे हैं। रतन लाल हंगलू ने स्मृति ईरानी पर काम में दखल देने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर इसी तरह काम में दखल देना है तो उन्हें हटाकर किसी सांसद या विधायक को वीसी बना देना चाहिए।
दरअसल, चार महीने पहले ही इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी बने प्रोफेसर रतन लाल हंगलू ने कामकाज संभालते ही नये सेशन से सभी इंट्रेंस एग्जाम सिर्फ ऑनलाइन कराए जाने का ऐलान किया था। लेकिन छात्रों के विरोध के चलते वीसी ने ग्रेजुएशन क्लासेज में दाखिले के लिए इंट्रेंस एग्जाम ऑन लाइन के साथ ही ऑफलाइन कराए जाने का भी विकल्प दे दिया था।
यूनिवर्सिटी में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होते ही छात्रों ने इस बार के सभी इंट्रेंस में ऑफलाइन का भी विकल्प दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। छात्रों के इस प्रदर्शन को नेताओं का भी साथ मिला और कौशाम्बी के बीजेपी सांसद विनोद सोनकर ने नौ मई को स्मृति ईरानी से मिलकर उनसे वीसी की शिकायत की थी। जिसके बाद स्मृति ईरानी ने मामले में दखल दिया और वीसी के फैसले को पलटते हुए सभी इंट्रेंस एग्जाम में ऑफलाइन का भी विकल्प दे दिया। मंत्री स्मृति ईरानी के दखल पर अपना फैसला पलटे जाने से वीसी रतन लाल हंगलू गुस्से में हैं और वह खुलकर मंत्री और बीजेपी सांसदों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। इस बयान के बाद कैम्पस के साथ साथ कुछ खास राजनीतिक गलियारों जैसे बीजेपी में कुलपति के बयान को लेकर काफी गुस्सा है।
कैम्पस में बयान के विरोध में अ.भा.वि.प. के बैनर तले बुधवार को छात्र नेताओं ने कुलपति का पुतला फूंकने के बाद जमकर नारेबाजी की। छात्र संघ उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कुलपति पर साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि आदेश के बावजूद वह मुद्दे को उलझाने की कोशिश कर रहे हैं। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने कुलपति के दिए गए बयान की निंदा की और कहा कि उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी। बीजेपी सांसद विनोद सोनकर ने भी कुलपति के बयान की निंदा करते हुए कहा कि छात्रहित में मंत्रालय का हस्तक्षेप अनुचित नहीं कहा जा सकता।
*आइये नजर डालें क्या कुछ हुआ था 6 दिन चले आमरण अनशन में –
महज कुछ महीनों की शांति के बाद पूरब का आक्सफोर्ड एक बार फिर हितों के टकराव को लेकर जल उठा है, पर इस बार आमने-सामने छात्र संघ के पदाधिकारी नही बल्कि विवि प्रशासन है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सभी प्रवेश परीक्षा में ऑनलाइन के साथ ऑफ़लाइन का विकल्प देने की मांग को लेकर सोमवार को विवि कैम्पस में छात्र संघ के सभी पदाधिकारियों ने एकजुट होकर सर्वप्रथम सुबह कैम्पस में विवि प्रशासन के विरुद्ध जुलूस निकाला और दोपहर 12 बजे के आसपास विवि के सभी कार्यालयों को बन्द करवा दिया। इसके बाद छात्र संघ पदाधिकारी अध्यक्ष ऋचा सिंह ,उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, महामन्त्री सिद्धार्थ सिंह गोलू के नेतृत्व में धरने पर बैठ गए। वही दूसरी ओर ऑनलाइन परीक्षा का समर्थन कर रहे सैकड़ों छात्रों ने कुलपति महोदय से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा और अनुरोध किया कि विवि प्रशासन अपने इस निर्णय से पीछे न हटें। छात्रों के इस गुट का नेतृत्व कर रहे रिसर्च स्कॉलर अतुल नारायण सिंह ने कहा यह विवि के आगामी सत्र को लेट करने की साजिश मात्र है और इनके पास इसके आलावा कोई मुद्दा नही है। हमने आज ज्ञापन में भी कुलपति महोदय से मांग की विवि अपने इस निर्णय को वापस न ले। सत्र नियमित हो और कैम्पस में पठन-पाठन का माहौल बन सके और विवि को अराजक तत्वों से सुरक्षित किया जाये।
छात्र संघ अध्यक्ष ऋचा सिंह का कहना था कि इस निर्णय से पूरी तरह ग्रामीण अंचल से आने वाले छात्र प्रभावित होंगे, जो गाँवों से बड़ी आशा के साथ इस विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए आते हैं। हम किसी भी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे और विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिस प्रकार हमारे ऊपर लाठीचार्ज किया वो दुखद और शर्मनाक है। हम तब तक अपना विरोध जारी रखेंगे जब तक विवि प्रशासन हमारी मांगे मान नही लेगा।
इसी मुद्दे पर ऑनलाइन पद्धति का विरोध कर रहे एवीवीपी के छात्र संघ नेता सूरज दुबे ने कहा था, ऑनलाइन के साथ ऑफ़लाइन की व्यवस्था भी होनी चाहिए और कोई भी नई व्यवस्था जब लागू की जाती है उसके लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, उसे छात्रों के ऊपर अचानक लादा नही जाना चाहिए। हमारे वि.वि. में ग्रामीण क्षेत्र लगभग 70% छात्र पढ़ने के लिए आते हैं और ऐसे में इस व्यवस्था से उन्ही का सबसे बड़ा घाटा होगा और हम किसी भी छात्र के साथ गलत नही होने देंगे।
*कुलपति के समर्थन में छात्रों ने प्रधानमंत्री और एमएचआरडी को भेजा पत्र –