सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ब्रहस्पतिवार को 2016 बेच के नए नियुक्त भारतीय वन अधिकारियों से हुई मुलाकात में ग्लोबल वॉंर्मिांग को ले कर कहा कि समस्याएं बढ़ाने के बजाय उनके समाधान ढूडने की कोशिश और देश के विकास के लिए कार्य करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जंगलों और आसपास रहने वाले आदिवासियों सहित लाखों गरीब लोगों की मूल भोजन और ईंधन की आवश्यकताओ के बारे में भी बात की।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ऐसे लोग साधारण और महनती होते हैं आप सभी को ऐसे लोगों अपने प्रबंधन में जो़ड़कर काम करना चाहिए। और राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है इसके साथ आप सभी को वन संरक्षण और विकास की जरुरतों के बीच में सामांतर रखना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व कई दशक पहले ही ऐसे ग्लोबल वॉर्मिंग, वनों की कमी, पर्यावरण का स्वच्छ ना होना जैसी समस्याओं से पहले ही जाग चुका है इसलिए भारत के लिए 21वीं सदी में पर्यावरण को स्वच्छ और वनों को संरक्षण एक अहम मुद्दा है।
हमारी राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 प्रतिशत भूमी पेड़ और पौधों से भरी हुई होनी चाहिए, इसके लिए आप सभी को कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन जो है वह एक पोटेंशल कॉर्बन सिंक का काम करता है जिससे कि कारखानों से निकलने वाले धुएं को पर्यावरण में घुलने से रोकता है इसके साथ ग्लोबल वॉर्मिंग से भी बचाता है।
रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि यह मुद्दा पहले सिर्फ पुरुष अधिकारीयों के लिए बना हुआ था परंतु अब थोड़ा इसमें बदलाव हुआ है।
रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि वह उम्मींद करते है कि वन सेवा के कार्य में महिलाएं अपनी पूरी मेहनत के साथ काम करेंगी।