फ़िल्म समीक्षा : लखनऊ सेंट्रल

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नवप्रवाह रेटिंग: ⭐️⭐️⭐️

कास्ट: फरहान अख्तर, डायना पेंटी, रोनित रॉय, गिप्पी ग्रेवाल, दीपक डोबरियाल, राजेश शर्मा, इनामुलहक, रवि किशन
निर्देशक: रंजीत तिवारी

कोमल झा । Navpravah.com

सच्ची घटनाओं पर आधारित फ़िल्मों का दौर है। बॉलीवुड में ऐसी फ़िल्मों का चलन सा हो गया है और ज़्यादातर फ़िल्में अच्छा व्यवसाय भी करती नज़र आई हैं। आइए जानते हैं कैसी है फ़िल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’।

कहानी-

किशन गिरहोत्रा (फरहान अख्तर) एक छोटे से शहर मुरादाबाद में एक मामूली लाइब्रेरियन का बेटा है। किशन का सपना अपना खुद का बैंड बनाने का होता है, लेकिन वो मुरादाबाद के आईएएस ऑफिसर के मर्डर के झूठे केस में फंस जाता है। इसके बाद वो झूठे जुर्म में जेल चला जाता है, लेकिन वकील मांग करता है कि किशन को उम्र कैद नहीं मृत्यु दंड मिलना चाहिए। किशन लखनऊ जेल पहुंचता है और इसी बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री (रवि किशन) की ओर से एक ऐलान होता है कि 15 अगस्त के दिन प्रदेश की सारी जेलों के बीच एक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। अब किशन लखनऊ सेंट्रल जेल में बैंड बनाने का जिम्मा उठाता है और इस काम में उसकी मदद करती हैं गायत्री कश्यम (डायना पैंटी), जो कि किशन की मैडम जी हैं।हांलाकि बैंड बनाने की प्लानिंग वो इसलिए करता है ताकि वो जेल से भाग सके। क्या वह जेल के अंदर अपना बैंड बनाने का सपना पूरा कर पाता है या वह जेल से भागने में सफल हो पाता है?

सच्ची घटनाओं पर आधारित लखनऊ सेंट्रल फिल्म आप को इमोशनली बहुत कनेक्ट करेगी। लेकिन फिल्म में ड्रामा और हास्य भी सही समय पर दिखाया गया है। मुश्किलों का सामना करके जीत हासिल करने की थीम इस फिल्म को लोगों के दिल कनेक्ट करती है। अपने घर से बाहर चारदीवारी जेल के अंदर जीने की एक वजह तलाशते कैदी दर्शकों के दिल को छू लेते हैं। अपने परिवार और समाज से ठुकरा दिए जाने के बाद कैदी एक-दूसरे के साथ ही सुकून महसूस करते हैं। रंजीत तिवारी ने कैदियों के बीच इस दोस्ती और अनोखे रिश्ते को बहुत खूबसूरती के साथ निभाया है।

अभिनय-

फरहान ने अपना किरदार बख़ूबी निभाया है, लेकिन कहीं-कहीं देसी चरित्र निभाने के लिए उनके एफर्ट्स विजिबल हो जाते हैं, लेकिन उनका किरदार कहानी से कनेक्ट कर ही देता है। उनका किरदार आपको उनकी बदकिस्मती पर रुला देता है। रॉनित रॉय अपने किरदार पर बहुत सटीक दिखते हैं। वह फिल्म में एक धूर्त और चालाक जेलर की भूमिका निभा रहे हैं। कैंदियों पंडित जी (राकेश शर्मा), विक्टर (दीपक डोबरियाल), दिक्कत (इनामुलहक) और पाली (गिप्पी गिरेवाल) , रवि किशन आदि कलाकारों ने भी अपना किरदार बख़ूबी निभाया है। बात करें डायना पेंटी की, तो उन्होंने भी अपने किरदार को बहुत ही खूबसूरती से निभाया है।

संगीत-

फिल्म में अगर गानों की बात करें, तो सबसे खूबसूरत गाना रंगदारी है। इसको कम्पोज़ बहुत ही बेहतरीन तरीके से किया गया है, ये गाना भी आप को इमोशनली कनेक्ट करेगी। लेकिन फ़िल्म के गानों ने कुछ ख़ास कमाई नहीं की।

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