मनोयोग से करें माँ की आराधना, समस्त कामनाएं होंगी पूर्ण

सुमन मिश्रा,

“सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्वेतुर्भिर्भुजैः शंखचक्रधनुःशरांश्च दधति नेत्रैस्त्रिभिःशोभिता ।
आमुक्तांगदहारकंकणरणत्काश्चीरणन्नुपुरा दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुण्डला ।
ध्यानार्थे अक्षत्पुष्पाणि समर्पयामि ।
ऊँ दुर्गायै नमः”

सभी देवों की दिव्य शक्तियों से युक्त माँ दुर्गा सभी भक्तों की रक्षा करें। शारदीय नवरात्रि पराशक्ति के शुभ संदेश के साथ आज से अर्थात 1अक्टूबर से आरम्भ हो रहा है। देवी अपने सभी भक्तों को आश्वस्त करती हैं।
“एभिः स्तवैश्च मां नित्यं स्तोष्यते यः समाहितः।
तस्याहं सकलां बाधां नाशयिष्याम्यसंशयम् ।”

इस आश्वासन की शक्ति से इतिहास पूर्व परिचित है। प्रभु राम ने इसी शक्ति से अभिभूत होकर आसुरी शक्तियों का संहार किया था। कलियुग में आसुरी शक्तियाँ हमारे भीतर क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, अहंकार इत्यादि के रूप में समाई हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना कर इन आसुरी शक्तियों से मुक्त हो सकते हैं।

प्रकृति के बदलाव के रूप में माँ दुर्गा के आगमन की अनुभूति की जाती है। आज जब मनुष्य अपने भीतर के विकारों के साथ-साथ विभिन्न रोगों और वैमनष्यता से जूझ रहा है, तब अवश्य दैवीय शक्तियों की आवश्यकता भी महसूस करता है। दैवीय शक्तियाँ कोई अद्भुत चमत्कार भले न करती हों, परन्तु इन विपदाओं का मुकाबला करने की शक्ति अवश्य देती हैं।

उपासना, स्तुति, प्रार्थना, अराधना इत्यादि में अंधभक्ति का कोई स्थान नहीं है, मात्र मनोयोग से माँ का ध्यान और यथोचित उपासना ही शांति की अनुभूति करा सकती है।

यह ऐसा पर्व है जो देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा, गुजरात में गरबा, महाराष्ट्र में डांडिया, पंजाब में कंजिका पूजन के साथ नवरात्रि का उपवास, उत्तर प्रदेश में घट स्थापना के साथ शक्ति की उपासना, मध्यप्रदेश में शारीरिक अंगों में जवारों के रोपण के साथ कठिन योग के साथ देवी उपासना इत्यादि इस महत्वपूर्ण पर्व को मनाने के तरीके हैं।

राम लीला, रावण वध कथा भी शारदीय नवरात्र का अंग है। धार्मिक तथा अध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ यह पर्व सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। स्त्रियों को महत्व देने के वैदिक परम्परा का साक्ष्य भी देता है। इस त्योहार को मनाने हेतु सामग्रियों के साथ- साथ श्रद्धा अत्यंत आवश्यक है। श्रद्धा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

1 COMMENT

  1. सुमन आलेख सारगर्भित है।इसी प्रकार आध्यात्म से परिचय करवाती रहें ।डा

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