जटाशंकर पाण्डेय | Navpravah.com
‘राम’ और ‘रहीम’ शब्दों पर ऐसा बट्टा बिठाया है इन तथाकथित साधुओं ने, की खुद भगवन राम और रहीम सोच रहे होंगे की काश हम पुनः नाम करण करा पाते।
‘साधू बन के डाका डाला!’ डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को साध्वी बलात्कार मामले में सी बी आई अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई है। सजा का ऐलान होते ही गुरमीत राम रहीम जमीन पर बैठ कर फूट फूट कर रोया, रहम की भीख मांग रहा था। सजा सुनने से पहले भी बाबा सी बी आई जज के सामने काफी गिड़गिड़ाया, लेकिन जज साहब के ऊपर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ा। जब आप सिंहासन पर विराजमान थे, तब आपने लाखों करोड़ों लोगों का शोषण किया, लाखों करोड़ों लोगों की बद्दुआएं लीं। सत्य ही कहा गया है,
“निर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय”।
यही हाय लग गई बाबा जी को। ऐसे लोगों को क्षमा मांगना , रहम की भीख मांगना या रोना क्या शोभा देता है! जो खुद को भगवान मानता था, लाखों लोग जिसके भक्त थे, हज़ारों गुर्गे थे, जो एक इशारे पर दंगा भड़काने को आमादा थे। खुद का इतना बड़ा साम्राज्य है, इतने खतरनाक हथियार के भंडार हैं, सभी पड़ोसी राज्य जिनका लोहा मानकर अपनी पुलिस व्यवस्था को टाइट रखे हुए हैं, जिसके चलते पड़ोसी राज्यों के स्कूल कालेज बंद करवा दिए गए थे,वो न्यायालय प्रांगण में घुटने टेक कर रो रहा है! ये कैसा भगवान?
भगवान कृष्ण के ऊपर कितनी भी विपदा आई , वे जरा भी घबराए नहीं। भगवान राम को राज्य मिलते मिलते 14 साल का वनवास मिला, जिसे उन्होंने हँसते हँसते स्वीकार कर लिया, जरा भी चिंता मुख मंडल पर नहीं दिखी, वो भगवान थे। अपने आप को भगवान कहने वाले इन कथित भगवानों को भगवान का ज़रा भी ध्यान है, कि भगवान के गुण क्या क्या हैं? भगवान राज्य के पीछे,भगवान सुख के पीछे भगवान वासना के पीछे नहीं भागते। ‘परहित सरस धरम नहीं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।’ अपने आप को भगवान बताने वाले ये बाबा जी अगर खुद की आत्मा से पूछें कि ये वास्तव में क्या हैं , तो शायद सही जवाब मिलने की कुछ संभावना बने।
इंसान को अगर यह महसूस हो जाए कि मैं गलत रास्ते पर हूँ या जा रहा हूँ, तो शायद उसके जीवन में सुधार आ सकता है, लेकिन गलत होने के बावजूद भी उसे यह विश्वास रहे कि मैं ही सही हूँ, तो सुधार असंभव है। लाखों लोगों की भावनाएं, श्रद्धा,भक्ति, आस्था किसी इंसान के साथ जुड़ जाने के बाद उसे अगर केवल इतना ध्यान रहे कि लोग मुझे भगवान के रूप में पूजते हैं, मुझे उनकी आस्था को कभी ठेस नहीं पहुँचाना, तो वह भगवान भले ही नहीं है, लेकिन इंसान जरूर बन जाएगा। वह, लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुँचे, उनका विश्वास न टूटे, ऐसे ही काम करेगा। ठीक इसके विपरीत किसी आसुरी प्रवृत्ति के मानव से लाखों लोगों की श्रद्धा आस्था और भावनाएं जुड़ जाए, और वह अभिमान में , मद में, माया में अंधा हो जाए, तो वह क्या करेगा? वही, जो राम रहीम, आसाराम और रामपाल ने किया।
आसुरी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को अगर लाखों लोगों की श्रद्धा,आस्था और विश्वास मिल जाय तो उसके अहंकार को इतना बल मिलेगा कि उसकी आसुरी प्रवृत्ति और प्रबल हो कर उभरेगी। भक्त प्रह्लाद,राजा बलि ये असुर परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन इनके अंदर दैवीय प्रवृत्ति थी, जिसके कारण इनके कर्मो की सराहना हुई। किसी भी शुभ कार्य में गौरी- गणेश के पूजा के बाद राजा बलि की पूजा होती है, जबकि बलि असुर परिवार से थे।
आज के ये कथित बाबा और साध्वी, जो अपने को भगवान का दर्जा दिए हुए हैं, जो मानव परिवार में पैदा हुए और उनकी प्रवृति आसुरी है, ऐसे भगवान के वेश में छुपे दानव अपने जीवन में वही करेगें जो राम रहीम ने किया,जो आशा राम ने किया। अब इनके भक्तों को भी क्या कहा जाय? इतना अंधविश्वास, जिसके बल पर राम रहीम 1200 करोड़ की प्रॉपर्टी खड़ी कर गया! हमारे शास्त्रों में भगवान भक्तों पर कृपा करते हैं,वो कृपालु होते हैं लेकिन आज भक्तों की कृपा से भगवान ऐश करते हैं। आशाराम,राधे माँ, राम रहीम, रामपाल व अन्य कई ऐसे ही भगवान हैं, कुछ के घड़े भर गए, कुछ के बाकी हैं।
अगर मानव बस इतना सा भाव समझ ले,कि भक्त और भगवान के बीच अगर भावना का तालमेल बैठ जाए, तो वहां शब्दों का कोई महत्त्व ही नहीं रह जाता। बिन कहे, बिन सुने सारी बातें हो जाती हैं, क्योंकि भक्त और भगवान के बीच जो है, वो बस भाव है। ये भाव खुद भक्त भगवान तक पहुंच सकता है, बिना फल, फूल, आरती, पूजा,आडंबर, बाबा, काबा, साधू, पंथी, पीर के। बस डायरेक्ट कनेक्शन जोड़ने की देर है।