सौम्या केसरवानी,
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान का अप्रत्यक्ष साथ देने की कीमत चीन को अपने बाजार से चुकानी पड़ रही है। हालात यह हैं कि शहर में लगभग 30 प्रतिशत चाइना के उत्पादों की बिक्री कम हो गई है। जिससे कुम्हारों के दिन बहुरते दिख रहे है और परंपरागत मिट्टी के दीपक बाजार की शोभा बढ़ा रहें हैं।
लगभग एक दशक पूर्व से कानपुर में जड़े जमा चुका चाइना बाजार को पहली बार मार झेलनी पड़ रही है। खासतौर पर दीपावली में तो यहां पर चाइना का कारोबार लगभग पांच सौ करोड़ पार कर जाता था। लेकिन सरहद में तनाव के बाद जिस तरह से चीन चुप्पी साध रखी, उससे उसका शहर में व्यापार कमजोर होने लगा।
सोशल मीडिया से लेकर सामाजिक संगठनों ने चीन के उत्पादों का बहिष्कार लोगों से स्वदेशी उत्पाद खरीदने की अपील की। उनकी अपील धीरे-धीरे रंग लाने लगी और शहरवासी चाइना उत्पादों से दूरी बनाने लगे। जानकारों की मानें तो इस बार दीपावली में जिस तरह से शहरवासी दूरी बना रखे है, उससे चाइना उत्पाद एक चौथाई भी फिलहात बिकता नहीं दिख रहा है।
बताते चलें कि कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में 30 प्रतिशत चाइना उत्पादों की बिक्री कम हुई है। नई सड़क के थोक कारोबारी रजत गुलाटिया ने बताया कि एक माह से अधिक समय हो गया, माल पूरा गोदाम में पड़ा है घटती मांग को देखते हुए फुटकर व्यापारी माल खरीदने आते ही नहीं है।