सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
उद्योग मंडल फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि, सरकार चालू वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहेगी, उन्होंने यह भी कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद 7 से 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर को हासिल करेगा और दुनिया की तीव्र वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा बनाये रखेगा।
उन्होंने कहा, इस साल भी कई चुनौतियों के बावजूद हम राजकोषीय लक्ष्य को बनाये रखने में कामयाब होंगे क्योंकि कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर की मजबूती से चालू खाते का घाटा प्रभावित होता है और हमारे लिये इन दोनों घाटों के साथ चलना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि इसका असर काफी गंभीर होता है।
जेटली ने कहा कि, भारत तेल का बड़ा आयातक है, ऐसे में तेल कीमतों का सीधा प्रभाव होगा, उन्होंने कहा कि भारत के पास एक सीमा तक कच्चे तेल के बढ़ते दाम से निपटने की क्षमता है और जब यह सीमा को पार करता है, यह मुद्रास्फीति, मुद्रा तथा चालू खाते के घाटे को प्रभावित कर सकता है।
विदेशी मुद्रा के कुल प्रवाह और निकासी का अंतर चालू खाते का घाटा (कैड) जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी का 2.9 प्रतिशत रहा जो अप्रैल-जून में 2.4 प्रतिशत था, उन्होंने कहा, ‘जब वैश्विक चुनौतियां सामने आती हैं, हम चाहते हैं कि कम-से-कम हमारी आंतरिक घरेलू क्षमता इतनी मजबूत हो कि वह इसका सामना कर सके।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि, सरकार रिजर्व बैंक की स्वायत्ता और स्वतंत्रता का सम्मान करती है और कर्ज और नकदी मुद्दों को उठाना केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता में दखल देना नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि, अगर कोई संप्रभु सरकार देश में कर्ज और नकदी के मुद्दों को उठा रही है, तो इसे किस प्रकार से स्वायत्तता में दखल कहा जा सकता है, कंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को लेकर सरकार के साथ मतभेदों के चलते उर्जित पटेल के गवर्नर पद से इस्तीफे के कुछ दिन बाद जेटली का यह बयान आया है।