आनन्द रूप द्विवेदी | Navpravah.com
फ़ेक न्यूज़ किसी भी इंसान के लिए कितनी भारी पड़ सकती है इसका ताज़ा उदाहरण चंडीगढ़ के १६ वर्षीय हर्षित शर्मा हैं. दरअसल हर्षित ने Government Model Senior Secondary School (GMSSS), Sector 33 से बारहवीं की परीक्षा पास की है जिसे एक फ़ेक फोनकाल के माध्यम से गूगल जैसी विश्व की शीर्ष कम्पनी में 1 करोड़ ४४ लाख सालाना की सैलरी पर बतौर ग्राफ़िक डिजाइनर नियुक्त किया जाने का झांसा दिया गया.
उक्त फोनकाल के बारे में हर्षित ने अपने स्कूल में बताया तो स्कूल प्रिंसिपल ने बाकायदे एक प्रेसनोट जारी कर दिया.
जिसके बाद तमाम मीडिया वालों ने उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते RVCJ नामक एक वायरल कंटेंट प्रकाशक वेबसाईट ने हिन्दुस्तान टाइम्स जैसे शीर्ष अखबारों का हवाला देते हुए इस खबर को वायरल कर दिया. अपनी खबर में उन्होंने हर्षित को बधाई भी दी.
बता दें कि RVCJ Digital Media Pvt. Ltd. की वेबसाईट RVCJ Media के फेसबुक पेज जिसमें एक करोड़ से भी अधिक लोग इन्हें लाइक करते हैं, में ये खबर प्रकाशित की गई जिसे लगभग 99000 लोगों ने पसंद किया साथ ही 2.3 हजार कमेंट्स और 3.6 हजार शेयर्स किये गये. बाद में वेबसाईट ने अपनी न्यूज़ में एक अपडेट नोट जोड़ते हुए कहा कि, “इन्डियन एक्सप्रेस से बात करके गूगल के स्पोक्सपर्सन ने हर्षित शर्मा के बारे में उनके रिकार्ड्स में किसी भी प्रकार की उम्मीदवारी की सूचना नहीं है.” हालाँकि गुरुवार को RVCJ Media ने भी हर्षित को फ़ेक जॉब वाली खबर को प्रकाशित किया.
बात ने हवा पकड़ी और देखते ही देखते हवा हर्षित के लिए बधाइयों का सैलाब ले आई.
हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक़ हर्षित की माँ भारती शर्मा ने बताया कि, “मंगलवार को गूगल द्वारा ये साफ़ किया गया कि ऐसा कोई ऑफर उनके यहाँ से हर्षित को नहीं दिया गया है. इस बात से हर्षित को गहरा सदमा पहुंचा और उसने उस दिन से कुछ भी नहीं खाया जिस कारण उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ गया. डॉक्टर्स का कहना है कि उसे सदमा पहुंचा है. जो पहले हमें बधाइयां दे रहे थे वही अब हमें ताने मर रहे हैं.”
बिना किसी गहन जांच पड़ताल के फ़ेक फोन कॉल्स बेहद गंभीर परिणाम सामने ला सकती हैं जिनसे सावधान रहने कि जरूरत है. साथ ही मीडिया द्वारा जिस प्रकार फ़ेक न्यूज़ को अनजाने में ही सही बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि सामाजिक सुरक्षा के लिए घातक संकेत है. जरूरत है तो ऐसी न्यूज़ के तथ्यों पर पुनर्विचार की.
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