सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
पीएम मोदी ने नानाजी देशमुख के जन्म शाताब्दी समारोह के अवसर पर कृषि अनुसंधान परिषद में एक कार्यक्रम में मधुमक्खी पालन पर जोर देते हुए कहा कि, दुनिया में रासायनिक मोम की जगह मधु से तैयार होने वाले मोम की व्यापक मांग है।
नेशनल बी बोर्ड के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर बीएल सारस्वत ने एक निजी चैनल के कृषि समिट में बताया कि, पहले मधुमक्खियों के डंक का इस्तेमाल दर्द निवारक के तौर पर किया जाता था, लेकिन इससे मधुमक्खियां मर जाती थीं, लोकिन अब बी वेनम निकालने की तकनीक विकसित हो गई हैं जिसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है और मांग बहुत ऊंची है।
उन्होंने कहा कि, मधुमक्खी पालन के लिए किसान कल्याण मंत्रालय महज शहद के लिए प्रमोशन नहीं कर रही, मधमक्खी पालन से फसलों को भी काफी मदद मिलती है, फसलों के फूलने के समय मधुमक्खियों की कॉलोनी रखने से अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिले हैं।
बीएल सारस्वत ने कहा कि, मधुमक्खियों से मिलने वाले बी वेनम, बी पोलिंग, बी वैक्स, रॉयल जेली ऐसे उत्पाद है जिससे मुनाफा काफी अधिक होता है, उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन करने के लिए किसान डेढ़ लाख से दो लाख रुपये से शुरूआत कर सकते हैं।