एक्सक्लूज़िव: डॉक्टर्स की कमी से बेहाल एशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल 

एशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल डॉक्टर्स की कमी से बेहाल

पारुल पाण्डेय | navparavah.com

शिवडी में स्थित एशिया का सबसे बड़ा टीबी अस्पताल अपने ही हाल पर बेहाल है। 1200 बेड वाले इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना तक़रीबन 250 मरीज आते हैं। इस दौरान लगभग 800 मरीज इलाज के लिए भर्ती भी किए गए हैं।ऐसे में अगर डॉक्टर्स की कमी है, तो मरीजों के इलाज को लेकर संशय होना स्वाभाविक है। इस अवस्था से न सिर्फ अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि इलाज करने वाले डॉक्टरों पर भी टीबी का साया मंडरा सकता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, टीबी अस्पताल में असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के कुल 22 पद रिक्त हैं, जिनपर पूरा अस्पताल आधारित है, जबकि मेडिकल ऑफिसर के पद पर केवल 11 डॉक्टर ही उपस्थित हैं। ऐसे में मरीजों के इलाज के साथ-साथ डॉक्टरों की सेहत पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। सूत्र के अनुसार, एक डॉक्टर तक़रीबन 50 मरीज देखता है, जिससे उनमें भी टीबी के कीटाणु फ़ैल सकते हैं।

काम का सारा बोझ असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर पर-  

आम तौर पर नए डॉक्टर्स की भर्ती के लिए अस्पताल प्रशासन विज्ञापन निकालता है, जिसके बाद डॉक्टर्स का इंटरव्यू लेकर इनका चयन किया जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि इस अस्पताल में ऐसा कुछ नहीं किया जाता, जिससे  काम का सारा बोझ असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर(जूनियर डॉक्टर) पर आता है। कई सालों से अस्पताल में नए डॉक्टरों की भर्ती ही नहीं की जा रही हैं और निचले पद के लोगों को ऊपर की पोस्ट पर बैठा दिया जाता है। इस दौरान कोई प्रशासनिक पेपर नहीं बनवाया जाता, और न ही उस पद की आमदनी उन्हें दी जाती है। यहां सबकुछ मुहजबानी होता है। अस्पताल की स्थिती इतनी दयनीय है कि अब तक यहां मेडिकल सुप्रीटेनडेंट भी ओरल इंस्ट्रकशंस पर बैठाया गया है, जबकि इस पद के लिए आवेदक को MPSC (महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन) द्वारा ली गई परीक्षा पास करनी होती है, जिसके बाद इनकी नियुक्ति की जाती है।

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एक ही डॉक्टर करता है 2 शिफ्ट (24 घंटे)-

इतना ही नहीं, कई बार एक ही डॉक्टर को पुरे 24 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ जाती है। अस्पताल में 2 शिफ्ट में काम चलता है। एक शिफ्ट सुबह 9 बजे से शाम के 4.30 बजे तक है और दूसरी शाम 4.30 बजे से सुबह के 9 बजे तक होती है। डॉक्टरों की कमी के चलते कई बार एक ही डॉक्टर दोनों शिफ्ट की ड्यूटी करता है, जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । क्योंकि लगातार टीबी के मरीजों के आसपास रहनेवाले लोग इसका शिकार बन सकते हैं ।

वहीं जब डॉक्टर्स की कमी के मामले पर नवप्रवाह डॉट कॉम ने अस्पताल के एक्टिंग मेडिकल सुप्रीटेनडेंट से बात की, तो उन्होंने मेडिकल ऑफिसर की कमी पर हामी भरते हुए बताया कि एमओ के कुल 44 पद हैं, जिसमें से केवल 26 पद ही भरे गए हैं और अन्य 18 पद रिक्त हैं। वहीं असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के पद पूरी तरह खाली हैं। इस जगह हमने 22 डॉक्टरों को एक साल के बांड के आधार पर रखा है। नवप्रवाह डॉट कॉम की डॉक्टर्स की कमी वाले सवाल को ख़ारिज करते हुए डॉक्टर ने बताया की हमारे पास जरूरत के हिसाब से सही डॉक्टर्स हैं।

बता दें कि मुंबई में हर साल 35-37 हजार टीबी के मरीज आते हैं। इसमें बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान इत्यादि राज्यों से आनेवाले ही होते हैं। इससे पहले भी अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल उठ चुके हैं। अस्पताल परिसर में फैली गंदगी, मरीजों को मिलनेवाला ठंडा खाना और उनकी डायट पर कई सवाल उठ चुके हैं । 
 
 

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