सौम्या केसरवानी।Navpravah.com
दिवाली के मौके पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लेखक चेतन भगत ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कई ट्वीट किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हैं, वे कोर्ट के फैसले से असहमत हैं।
चेतन भगत ने एक ट्वीट में लिखा, “बिना पटाखों के बच्चों के लिए दिवाली का क्या मतलब है?” लेखक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का बैन परंपराओं पर चोट है, उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर का वातावरण शुद्ध रखने के लिए एक हफ्ते के लिए बिजली और कारों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
चेतन भगत ने प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए कई सुझाव दिए, उन्होंने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हालत सुधारकर भी प्रदूषण पर लगाम लग सकता है। उन्होंने लिखा, नए विचारों के साथ आइए, बैन के साथ नहीं।
उन्होंने आगे कहा कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन क्यों लगाने की हिम्मत क्यों दिखाई जाती है? क्या जल्द ही बकरियों की बलि और मुहर्रम के खूनखराबे पर भी रोक लगेगी? उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा की मांग है कि दिवाली का जश्न पटाखों के साथ मनाया जाए। इसलिए इस पर रोक लगाना उचित नही है।