आनंद द्विवेदी
एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदुओं की अनुसूचित जातियों की तरह, मुस्लिमों को भी आरक्षण दिए जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस अहम फैसले के दौरान मुस्लिमों को जनजातीय आरक्षण दिए जाने और हिंदुओं, सिखों और बौद्धों की जातीय आरक्षण को रद किये जाने की मांग को खारिज कर दिया।
जस्टिस वीके शुक्ल व जस्टिस एमसी त्रिपाठी की बेन्च ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स द्वारा दायर की गई इस याचिका पर ये फैसला दिया है।
याचिका के कथनानुसार, प्रेसिडेंसी रूल्स 1950 के नियम 3 के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति का दर्ज़ा केवल हिंदुओं, बौद्धों,सिखों व जैन समुदाय के दलितों एवं आदिवासियों को दिया गया है और वे ही इसका लाभ प्राप्त कर रहे हैं। जबकि इन्हीं परिस्थितियों में रह रहे मुस्लिमों को भी SC, ST में शामिल किया जाना चाहिए।
इसी याचिका में संविधान के आर्टिकल 341(3) को ख़त्म किये जाने की गुहार लगाई गई थी। याचना के अनुसार धर्म आधारित भेदभाव असंवैधानिक है। जातीय आरक्षण का लाभ मुस्लिमों के अतिरिक्त अन्य मजहबों को देकर संविधान के आर्टिकल्स 14, 16, 19, 21 के प्रावधानों की अवहेलना की जा रही है। माननीय न्यायालय ने उक्त याचिका को कमजोर मानते हुये बिना हस्तक्षेप खारिज कर दिया।