अनुज हनुमत,
दिल्ली। अभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच रिश्ते ठीक होते कि उससे पहले गृहमंत्रालय के एक निर्णय ने फिर से माहौल गर्म कर दिया है। गृह मंत्रालय ने दिल्ली विधानसभा के करीब 14 विधेयक लौटा दिए हैं। मंत्रालय ने विधेयक लौटाने का कारण बताते हुए कहा कि विधेयक को मंजूरी देते समय केजरीवाल सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नही किया है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली एक केंद्रशासित क्षेत्र है और विधानसभा में किसी भी विधेयक को पारित करने से पहले मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजना होता है। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही उसे विधानसभा की मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है।
विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद उसे उपराज्यपाल के पास और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजना होता है। अधिकारी ने कहा कि इन 14 में से किसी भी विधेयक के लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से पूर्व मंजूरी नहीं ली और विधानसभा में सीधा विधेयक पारित करा लिया।
उन्होंने कहा कि चूंकि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, सभी 14 विधेयकों को सुधार के लिए दिल्ली सरकार के पास वापस भेज दिया गया।
पिछले कुछ हफ्तों में लौटाए गए विधेयकों में जनलोकपाल विधेयक 2015, न्यूनतम मजदूरी (दिल्ली संशोधन) विधेयक 2015, दिल्ली स्कूल (लेखा सत्यापन एवं अतिरिक्त शुल्क वापसी), दिल्ली स्कूल शिक्षा (संशोधन) विधेयक 2015, निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (दिल्ली संशोधन) विधेयक 2015 और श्रमजीवी पत्रकारों से संबंधित एक विधेयक शामिल है। इस नए घटनाक्रम से आप सरकार और केंद्र के बीच टकराव का एक नया दौर शुरू हो सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में दिल्ली की राजनीति किस करवट बैठेगी।