राजेश सोनी | Navpravah.com
गरीबों के लिए सब्जी बेचकर और जूते पॉलिश कर अस्पताल बनवाने वाली सुभाषनी मिस्त्री का नाम पद्म श्री के लिए चुना गया है। यह सम्मान विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं और उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। सुभाषनी मिस्त्री एक ऐसी महान सख्शियत हैं, जिन्होंने खुद अपनी ज़िन्दगी गरीबों के बीच व्यतीत कर हमेशा गरीबों की सेवा की है।
बता दें कि कोलकाता में रहने वाली सुभाषनी मिस्त्री गरीबों के लिए अस्पताल बनवाना चाहती थीं और उन्होंने यह सपना साकार भी कर लिया। उन्होंने यह अस्पताल जूते पॉलिश और सब्जी बेचकर बनाया है। सुभाषनी का जन्म साल १९४३ में बंगाल में अकाल के दौरान हुआ था। 14 भाई-बहनों में से 7 की मौत हो गई थी और उसके बाद उनकी शादी जल्द कर दी गई थी।
1971 में सुभाषनी के पति की इलाज के आभाव में मौत हो गई थी। पति के जाने के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी। उसी समय उन्होंने तय कर लिया था कि वह गरीबों के लिए एक अस्पताल बनाएंगी। इसके लिए उन्होंने एक-एक पाई जमा की और सन 1992 में हंसपुकर गांव में 10,000 रुपए में एक एकड़ जमीन खरीदी।
आगे उन्होंने यहाँ पहले छोटा अस्पताल निर्माण किया और शहर भर के डॉक्टरों को लाउडस्पीकर के माध्यम से विनंती कर अपने अस्पताल में इलाज करने के लिए बुलाया है। पहले दिन इस अस्पताल में 252 मरीजों का ईलाज हुआ, अब यह अस्पताल करीब 9000 स्क्वायर फ़ीट में फ़ैल चुका है।
सुभाषनी देवी के इस अस्पताल में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का मुफ्त ईलाज होता है। वहीं आम लोगों से 10 रुपए के रूप में मामूली फीस ली जाती है। अब सुभाषनी देवी चाहती हैं कि उनका अस्पताल सभी आधुनिक तकनीकों से लैश हो जाए, तभी उन्हें चैन सही मायने में मिलेगा।