आनंद द्विवेदी
छत्तीसगढ़, धमतरी के मगरलोड ब्लॉक स्थित कमरौद में सामाजिक बहिष्कार की एक ऐसी घटना सामने आई है। जिसने सामाजिक भेदभाव का काला सच उजागर कर दिया है। कमरौद गाँव के साहू समाज ने एक परिवार का हुक्का-पानी पिछले तीन वर्षों से बंद कर रखा है। इस परिवार ने समाज को 5000 रुपये आर्थिक दंड भी भरा है फिर भी समाज ने इन्हें स्वीकार नहीं किया।
न्याय की तलाश में कमरौद गाँव का यह परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है। इसी त्रास से तंग आकर परिवार की एक बेटी ने गत वर्ष जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। दैनिक अखबार ‘नई दुनिया’ के अनुसार रविवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में पीड़ित परिवार ने इच्छा मृत्यु की मांग की है।
परिवार के मुखिया पूनाराम साहू के अनुसार, “ तीन साल पहले उसकी बड़ी पुत्री का ब्याह पास के ही एक गाँव में हुआ था। जिसके कुछ दिनों बाद ही लड़की की तबीयत खराब रहने लगी। ससुराल वालों ने कहा कि आप अपनी बेटी को घर वापस ले जाइए. हमने उनकी यह बात स्वीकार कर ली, और इलाज करवाने के बाद बेटी को वापस ससुराल भेज दिया। इस घटना पर समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि इस परिवार ने समाज को बिना सूचित किये ऐसा काम किया इसलिए अर्थदंड दिया जाएगा। अर्थदंड भरने के बावजूद समाज ने इस परिवार का बहिष्कार कर दिया।
जब परिवार की बेटी ने आत्महत्या की तो उसके दाह संस्कार में शामिल होने न तो परिवार में से कोई और न ही समाज से कोई आया। इक्कीसवीं सदी में भी ये परिवार सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीतियों का भुक्तभोगी बना है। गौरतलब है कि जब पूनाराम के छोटे भाई नेकराम ने इस बहिष्कार के खिलाफ पुलिस में गवाही दी तो उनका भी समाज से बहिष्कार कर दिया गया।
इस सामजिक त्रासदी से तंग आकर परिवार ने एसपी कलेक्टर, डीजी, गृहमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक को शिकायत भेजी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसी के चलते परिवार ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है।