नारायण सिंह
ब्यूरो (उत्तराखंड)
आज उत्तराखंड मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी 3 मई तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहेगा। इस मामले की सुनवाई के दौरान ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि 29 अप्रैल को बहुमत सिद्ध करने के लिए शक्ति परीक्षण नहीं कराया जाएगा।
उत्तराखंड मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पकर अगले 3 मई गक के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने एक टिप्पणी में कहा कि स्पीकर सदन का मास्टर होता है। उत्तराखंड के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कुछ अहम सवाल पूछे।
1. क्या राज्यपाल ने आर्टिकल ने 175 (2) के तहत जिस तरीके से फ्लोर टेस्ट की बात सूचित की, क्या इस तरीके से संदेश भेजा जा सकता है?
2. विधायकों की सदस्यता रद्द करने का स्पीकर का फैसला क्या राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार बनता है?
3. क्या राष्ट्रपति विधानसभा की कार्यवाही का संज्ञान आर्टिकल 356 के तहत ले सकता है?
4. विनियोग विधेयक का क्या स्तर रहा, वो पास हुआ या फेल, राष्ट्रपति का इस मामले में क्या रोल है?
5. फ्लोर टेस्ट में देरी होना क्या राष्ट्रपति शासन का आधार बनता है?
6. लोकतंत्र कुछ स्थायी मान्यताओं पर आधारित होता है, उसके अस्थिर होने का मानक क्या हैं? ये बताया जाए?
जानकारों का मानना है कि इन सभी प्रश्नों का जवाब संविधान पीठ को भेजा जा सकता है।