सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
आप अगर पान मसाला या जर्दा का सेवन करते हैं तो अब मुंह में होने वाले छालों को लेकर जरा सावधान हो जाइए, आपको बेहद मामूली से दिखने वाले ये छाले कैंसर की बीमारी की तरफ भी ले जा सकतेे हैंं।
पान मसाला या जर्दा खाने वाले लोगों में मुंह के कैंसर की शुरुआत इन्हीं छालों के जरिए ही होती है, छालों के रंग बदलने का संकेत है कि अब आपने धीरे-धीरे कैंसर की बीमारी की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है।
इन छालों की मौजूदगी के बावजूद लोगों के पास कैंसर की बीमारी से बचने का पहला और आखिरी मौका मौजूद रहता है, आखिरी मौके का फायदा उठाने के लिए उन्हें पान मसाला या जर्दा का सेवन छोड़ना होगा, पान मसाला या जर्दा छोड़ने के बाद कुछ सामान्य दवाओं की मदद से इन छालों को ठीक किया जा सकता है।
बंता दें कि, ज्यादातर लोग पान मसाला या जर्दा को मुंह के एक हिस्से में दबा कर रखते हैं, पान मसाला और जर्दा में मौजूद हानिकारक केमिकल मुंह के उस हिस्से को संक्रमित करना शुरू कर देतेे हैं, धीरे-धीरे मुंह के उस हिस्से की कोशिकाएं निष्क्रिय होना शुरू हो जाती है, कुछ समय के बाद मुंह का यह हिस्सा पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है।
सफेद छाला आने के बाद भी यदि लोग सचेत नहीं होते हैं तो उस जगह पर एक लाल रंग का पैच आना शुरू हो जाएगा, इस स्टेज को मेडिकल टर्म में रिथ्रोप्लेकिया कहते हैं, रिथ्रोप्लेकिया किसी भी शख्स के सचेत होने का आखिरी मौका है, इस स्टेज में यदि वह शख्स पान मसाला या जर्दा का सेवन छोड़ देता है तो उसका बचाव एक बार संभव है।
यदि उसके बाद भी जो लोग पान मसाला या जर्दा का सेवन नहीं छोड़ते हैं, उनके मुंह में पहले एक दाना आता है, इस दाने के फूटने से छोटा जख्म होगा, यही जख्म धीरे-धीरे अल्सर में तब्दील हो जाता है. इस जख्म के साथ पान मसाला और जर्दा का केमिकल तेजी से मांसपेशी, स्किन, जबड़ा सहित अन्य हिस्सों को गलाना शुरू कर देता है।