धर्म डेस्क. सनातन धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है.
विश्वकर्मा ने देवी-देवताओं के लिए न सिर्फ भवनों का निर्माण किया बल्कि समय-समय पर अस्त्र-शस्त्रों का भी सृजन किया था। यही वजह है कि धार्मिक मान्यताओ के अनुसार सभी औजारों या उपकरण पर विश्वकर्मा का प्रभाव माना जाता है।
हर साल विश्वकर्मा जयंती पर सभी मशीनों और उपकरणों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं विश्वकर्मा पूजा के दौरान कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें करने की मनाही होती है और कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में पूजा के शुभ मुहूर्त से लेकर उन सभी बातों के बारे में जानते हैं जिन्हें करने से साल भर आपके घर में पैसों की बारिश होगी।
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त-
संक्रांति का पुण्य काल सुबह 7 बजकर 2 मिनट से शुरु हो रहा है। पूजा का शुभ फल प्राप्त करने इस समय पूजा आरंभ की जा सकती है।
विश्वकर्मा पूजा इस समय बिल्कुल न करें
ज्योतिष के अनुसार आज सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। अगर कोई व्यक्ति इस समय पूजा करेगा तो उसकी पूजा व्यर्थ हो जाएगी।
गुलिक काल में पूजा करने से मिलेगा विपरीत फल
वहीं, 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है, इस समय की गई पूजा का विपरीत फल मिलता है।
राहुकाल में भी न करें पूजा
इसके अलावा शाम 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल के दौरान की गई पूजा में नेष्ट माना गया है।