मुंबई. Bombay High Court ने वाहनों की गति से जुड़े नियमों के कड़ाई से क्रियान्वयन के लिए एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मुंबई (Mumbai) में सड़कों की हालत ऐसी नहीं है कि कोई भी शख्स 80 किलोमीटर प्रति घंटे (80 km/hour) से ज्यादा रफ्तार से गाड़ी चला सके।
चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने पिछले सप्ताह शहर के एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों में गति नियंत्रक लगाने के लिए किए गए प्रावधान का सख्ती से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।
गति नियंत्रक ऐसा उपकरण होता है जिसका इस्तेमाल इंजनों की गति का आंकलन करने और नियंत्रित करने के लिए होता है। याचिका में दावा किया गया कि स्कूली बसों सहित कई वाहन शहर में तय गति सीमा का उल्लंघन करते हैं। हालांकि पीठ ने कहा कि गति सीमा निष्प्रभावी है। चीफ जस्टिस नंदराजोग ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में, कौन सी सड़क बनी हुई है जहां एक वाहन 80 किमी की गति को पार कर सकता है? शहर ने इस याचिका में उठाए गए मुद्दों और समस्याओं का खुद समाधान कर लिया है।
अदालत ने आगे मामले की सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख निर्धारित की। महाराष्ट्र सरकार ने मई 2017 में काली और पीली टैक्सियों, मोबाइल ऐप आधारित कैब और टूरिस्ट टैक्सी, छोटे टैंपो और 3500 किलोग्राम से कम वजन वाली पिक-अप वैन में 80 किलोमीटर प्रति घंटे की तय सीमा के साथ गति नियंत्रक लगाने का निर्देश दिया था। बहरहाल, हाईकोर्ट ने गति सीमा लागू करने का जिक्र करते हुए यमुना एक्सप्रेस-वे का हवाला दिया।
अदालत ने कहा कि प्राधिकरण विभिन्न तरह के मार्ग और राजमार्ग का निर्माण करते हैं। शुरुआत में कहा जाता है कि कुछ ही मिनटों में एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचा जा सकता है, फिर वो उसी सड़क पर गति सीमा लागू करते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि जब यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ था तो यह कहा गया कि लोग दिल्ली से आगरा दो घंटे से भी कम समय में जा सकते हैं, लेकिन वहां राजमार्ग पर 62 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा है।