न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे एल्गार परिषद के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कबीर कला मंच के सांस्कृतिक तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। सागर तात्याराम गोरखे (32, वाकड, पुणे), रमेश मुरलीधर गायचोर (36, येरवडा, पुणे) और ज्योति राघोबा जगताप (33, कोंढवा, पुणे) को कई दिनों की पूछताछ के बाद सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया।जाने-माने सांस्कृतिक गायक और पुणे के जाति विरोधी कार्यकर्ता गोरखे, गायचोर और जगताप भीमा-कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान का हिस्सा थे। इसके बाद 2018 में पुणे के शनिवारवाड़ा पर हुए एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तारियों की संख्या अब 15 गिरफ्तारियां हो चुकी है।
एल्गार परिषद में दक्षिणपंथी तुषार दामगुडे ने कथित तौर पर पुणे में मराठों और दलितों के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश की थी जिसके लिए पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें छह लोगों को नामजद किया गया था।गोरखे, गायचोर और जगताप का नाम एफआईआर में दर्ज था लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था।इस साल जुलाई में उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन फिर जाने दिया जाता लेकिन चार सितंबर को उन्हें दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया। गोरखे और गायचोर का आरोप है कि एनआईए उन पर इस मामले में गिरफ्तार हो चुके लोगों के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव डाल रही है।
इससे पहले सोमवार को ही एनआईए ने एल्गार परिषद मामले की जांच के संबंध में पूछताछ के लिए हैदराबाद के इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी (ईएफएलयू) में प्रोफेसर के। सत्यनारायण (51) और द हिंदू के पत्रकार केवी कुरमानाथ को बुलाया है।ये दोनों ही एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव के दामाद हैं।
इसके साथ ही एनआईए ने कोलकाता के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) में एसोसिएट प्रोफेसर पार्थसारथी रे को भी एल्गार परिषद मामले में पूछताछ के लिए तलब किया है। पार्थसारथी ने एनआईए द्वारा उन्हें तलब करने को प्रताड़ित करने की रणनीति करार दिया है।
इस मामले में पहले की दौर की गिरफ्तारियां जून 2018 में हुई थीं, जब पुणे पुलिस ने लेखक और मुंबई के दलित अधिकार कार्यकर्ता सुधीर ढवले, यूएपीए विशेष और वकील सुरेंद्र गाडलिंग, गढ़चिरौली से विस्थापन मामलों के युवा कार्यकर्ता महेश राउत, नागपुर यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग की प्रमुख शोमा सेन और दिल्ली के नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन को गिरफ्तार किया था।
दूसरे दौर की गिरफ्तारियां अगस्त 2018 से हुईं, जिसमें वकील अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, लेखक वरवरा राव और वर्नोन गॉन्जाल्विस को हिरासत में लिया गया था।शुरु में पुणे पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नवंबर 2019 में इस मामले को एनआईए को सौंपा था।इसके बाद एनआईए ने 14 अप्रैल 2020 को आनंद तेलतुम्बड़े और कार्यकर्ता गौतम नवलखा और जुलाई 2020 में हेनी बाबू को गिरफ्तार किया।