52 साल बाद बरेली को मिलेगा उसका झुमका, जानें कितनी आएगी लागत

बरेली। साल 1966 में बरेली उस वक्त मशहूर हुई जब 1966 में आई फिल्म ‘मेरा साया’ के गाने ‘झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में’ में बालीवुड की दिग्गज दिवंगत अभिनेत्री साधना ने नृत्य का प्रदर्शन किया। हालांकि झुमका बनाने और बेचने के मामले में बरेली की कोई खासियत नहीं रही है और न ही इस शहर ने इस गाने की लोप्रियता को भुनाने की कभी कोई कोशिश की। आखिरकार, 53 सालों से अधिक समय के बाद बरेली को उसका झुमका मिलने जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से दिल्ली-बरेली मार्ग पर पारसखेड़ा जीरो प्वॉइंट को ‘झुमका’ तिराहा के रूप में बनाने की मांग की है।

कुछ सालों पहले 90 के दशक के प्रारंभ में भी इस परियोजना के होने की बात कही गई थी, लेकिन तब पर्याप्त राशि के अभाव और सही स्थान की खोज में बात आगे नहीं बढ़ सकी। बीडीए ने ‘झुमकों’ के कई डिजाइन भी मंगवाए हैं। इसे पहले डेलापीर तिराहे पर बनाया जाना था और इसके बाद इसे बड़ा बाईपास में बनाए जाने की बात चली, लेकिन इन दो स्थानों पर ट्रैफिक की समस्याओं को देखते हुए इस निर्णय में बदलाव लाया गया।

अब इसका निर्माण पारसखेड़ा में दिल्ली-बरेली मार्ग पर शहर के प्रवेश में किया जाएगा। बीडीए अधिकरियों के मुताबिक, उन्हें एनएचएआई की स्वीकृति का इंतजार है और जैसे ही यह मिलता है, इसे बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। बीडीए सचिव ने कहा, “‘महत्वाकांक्षी झुमका परियोजना’ काफी लंबे समय से उपेक्षित रही है। हालांकि शहर के प्रवेश द्वार पर पारसखेड़ा के पास एक नए स्थान पर इस परियोजना पर काम शुरू किया जाएगा।

हमने एनएचएआई से स्वीकृति की मांग की है। इसे जल्द ही मिलने की हम उम्मीद कर रहे हैं और जैसे ही यह होता है, काम शुरू हो जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा, “हमने इस परियोजना के लिए पारसखेड़ा जीरो प्वॉइंट को चुना है, इसके पहले के डिजाइन में कुछ बदलाव लाए जा सकते हैं और यह उपलब्ध स्थान पर भी निर्भर करेगा।

हम इसे घटा या बढ़ा सकते हैं।” बीडीए सूत्र ने कहा कि प्रस्तावित झुमके की चौड़ाई 2।43 मीटर होगी और इसकी ऊंचाई 12-14 फीट होगी। इस परियोजना के लिए निर्धारित भूमि की लागत करीब 18 लाख रुपये है। 12-14 फीट के इस झुमके के अलावा जिसे बीच में मुख्य प्रतिकृति के रूप में स्थापित किया जाएगा, इसके आसपास सूरमा के तीन बोतलों (जिसकी प्रेरणा गाने में उपयोग ‘सूरमे दानी’ से मिली) को भी सजाया जाएगा।

इसे रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाएगा। रंग-बिरंगे पत्थरों के अलावा सजावट के लिए जरी के कामों का प्रयोग भी किया जाएगा क्योंकि यह शहर जरी के काम के लिए मशहूर है। इसे बनाने के लिए फाइबर प्रबलित प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा जिस पर मौसम का असर बेअसर रहेगा और यह अपनी मोल्डिंग और परिवर्तनशील गुणों के लिए मशहूर है, इसे जब विभिन्न तत्वों के साथ मिलाया जाता है तो इसके गुणों में और भी वृद्धि होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.