उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 17वीं विधानसभा के पहले सत्र का पहला दिन आज हंगामे की भेंट चढ़ गया. बता दें कि आज विधानसभा में राज्यपाल ने राज्य में कानून की स्थिति पर कोई बात नहीं की. इस बात से नाराज और प्रदर्शन करने के लिए पहले से तैयार विपक्ष ने खूब हंगामा किया.
उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हुआ. आदित्यनाथ की अगुवाई में करीब 14 साल बाद भाजपा की सरकार बनी है. पहली बार राज्य विधानसभा की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया.सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राज्यपाल राम नाईक ने अभिभाषण पढ़ना प्रारम्भ किया लेकिन विपक्षी सदस्यों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया और राज्यपाल की ओर कागज के गोले फेंके. उन्हें नाईक से दूर रखने के लिये सुरक्षाकर्मियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
राज्यपाल का पूरा अभिभाषण सुनने की विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर होता नहीं दिखा और सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने पहले ही घोषणा की थी कि वह सरकार को कानून-व्यवस्था तथा कुछ अन्य मुद्दों पर घेरेगी.
विधानसभा का पहला सत्र होने की वजह से राज्यपाल राम नाईक दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया. सत्र के पहले दिन जीएसटी को सदन पटल पर रखा जाएगा और मंगलवार को इस पर चर्चा होगी. सरकार को एक जुलाई से जीएसटी लागू करना है. रविवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस दौरान दीक्षित ने सभी दलों से सहयोग मांगा था.
विधानसभा सत्र के दौरान योगी सरकार की मुख्य चुनौती कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर बनी हुई है. योगी सरकार बनने के 50 दिनों के भीतर ही उप्र में कई जगह जातीय हिंसा हुई है. इसे लेकर कानून-व्यवस्था की स्थिति बदहाल होने का आरोप विपक्ष लगा रहा है.
सहारनपुर हिंसा के अलावा पिछले 50 दिनों के भीतर कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई, जब भाजपा के विधायक और सांसद ही कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बने. गोरखपुर में भाजपा विधायक राधा मोहन दास द्वारा एएसपी चारू निगम को सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाए जाने के मुद्दे पर भी विपक्षियों ने काफी हंगामा किया था.
इसके अलावा आगरा में कई हिंदूवादी संगठनों की वजह से कानून-व्यवस्था को लेकर समस्याएं खड़ी हुई हैं. इन सभी मुद्दों पर विपक्षी दलों ने सदन के भीतर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है.राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष राशिद मसूद का कहना है कि योगी सरकार के राज में माफिया राज कायम है. भाजपा के विधायक और सांसद ही कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं.
विपक्ष के विरोध को झेलने के लिए बीजेपी की पूरी तैयारी है. नए विधायकों को सदन में व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया गया है. सरकार भी करीब 2 महीने के शासनकाल के दौरान अपने कामों का खाका पेश करेगी. हालांकि सदन में विपक्ष का संख्या बल महज 74 विधायकों का है, लेकिन हाल ही में बुलंदशहर, सहारनपुर, संभल और गोंडा में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा को मुद्दा बनाकर सरकार के पक्ष को कमजोर करने की कोशिश होगी.
पहले सत्र की शुरुआत से पहले योगी सरकार ने प्रशासनिक फेरबदल का भी फैसला किया है. 31 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया है. कई शहरों के एसएसपी बदले गए हैं. दलील यही है कि राज्य में कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा. कोशिश हर हाल में इसे बेहतर करने की है. पिछले 30 दिनों में छठी बार फेरबदल हुआ है. जनता भी इसी उम्मीद में है कि योगीराज के फैसले उनकी बेहतरी के लिए ही हों.