‘काशी’ जीतने में जुटी राजनीतिक पार्टियाँ

सौम्या केसरवानी | Navpravah.com

उत्तर प्रदेश विधानसभा का आखिरी चुनाव अब अपने आखिरी दौर में है, आखिरी चरण में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चुनाव होना है और इसके लिए नरेन्द्र मोदी भी कमर कस चुके हैं। वाराणसी से बीजेपी को काफी उम्मीदें है और बीजेपी अबकी चुनाव में एक बड़ी जीत की तलाश में है, इस चुनाव में हालाँकि बीजेपी ने पूरे कैबिनेट को उतार दिया है, और अब अंतिम चरण में पूरी कैबिनेट वाराणसी की गलियों में देखी जा रही है। जाहिर है पीएम मोदी और भाजपा पर इस क्षेत्र से अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने का दबाव होगा लेकिन इसके बारे में 11 तारीख से पहले कोई भी कयास लगा पाना मुश्किल है।

शहर उत्तरी, शहर दक्षिणी, बनारस कैंट, सेवापुरी, शिवपुरी, अजगरा, पिंडरा, और रोहनियां की 8 विधानसभा सीटों के 2012 के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। तीन सीटों वाराणसी कैंट, वाराणसी उत्तरी और वाराणसी दक्षिणी सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा था, जबकि अजगरा और शिवपुर में बसपा ने कब्ज़ा जमाया वहीँ अपना दल ने रोहनिया, पिंडारा में कांग्रेस और सेवापुरी में सपा को जीत मिली थी।

जीती हुई 3 सीटों को बचाने के अलावा बीजेपी की नजर अन्य सीटों पर भी है और अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी जोर लगा रही है। लेकिन बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं और बीजेपी को एक बार फिर मोदी मैजिक का ही सहारा है।

वाराणसी दक्षिणी सीट से भाजपा के दिग्गज व वर्तमान विधायक और लगातार सात बार चुनाव जीत चुके श्यामदेव राय चौधरी का टिकट कटने के कारण यहाँ आतंरिक कलह से भी बीजेपी को दो चार होना पड़ा है। नीलकंठ तिवारी को यहाँ से टिकट दिया गया है, जहाँ राजेश मिश्रा सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में सामने हैं।

वाराणसी उत्तरी सीट से वर्तमान विधायक रवींद्र जायसवाल के ऊपर भी जीत दर्ज करने का दबाव है और उनको बसपा-सपा से कड़ी टक्कर मिल रही है, लेकिन भाजपा के बागी सुजीत सिंह इनका खेल ख़राब करने में जुटे हुए हैं। सुजीत सिंह निर्दल उम्मीदवार के रूप में है और जायसवाल की जीत की उम्मीदों पर तुषारापात करने की पूरी कोशिश में जुटे हैं। अब्दुल समद अंसारी एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार होने के नाते भी मैदान में बने हुए हैं।

सपा के लिए सुरेंद्र पटेल ने सेवापुरी से जीत दर्ज की थी और पार्टी अखिलेश के चेहरे के अलावा कांग्रेस के सहारे वाराणसी से अधिक से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही है। अगर गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस के खाते में पिंडारा के रूप में एक सीट है जहाँ से अजय राय विधायक चुने गए थे। हालाँकि अजय राय वाराणसी से लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, अजय राय को इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। सपा अब अखिलेश यादव और राहुल के सहारे वाराणसी में बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेरने की कोशिश में जुटी हुई है।

वहीं बसपा के खाते में अजगरा और शिवपुर की सीट 2012 में रही और बसपा को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी। लेकिन अब अखिलेश यादव के परिवार में हुए झगड़े और अपराध को मुद्दा बनाकर बसपा ने सपा के दोबारा सत्ता में आने को चुनौती दी है तो वहीँ केंद्र सरकार पर नोटबंदी के दौरान जनता को परेशान का इल्जाम लगाते हुए पीएम पर बसपा सुप्रीमो ने कई हमले किये हैं।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में अब जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा ये तो 11 मार्च को मालूम होगा लेकिन काशी की गंगा में जीत की डुबकी लगाने के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। आखिरी चरण में काशी के कोतवाल की शरण में सभी प्रमुख दल पहुंचे हैं लेकिन बनारसी ‘रंग’ में रंगकर कौन विजय की होली खेलेगा इसका जवाब 8 मार्च को ‘बनारस’ के लोग ही देंगे।

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