भारत में रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार कई अहम फैसले लेने जा रही है। इनमें से पहला यह है कि परमानेंट नौकरी देने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को भेजा था, जिस पर सैद्धांतिक तौर पर मुहर लग गई है। राहत पैकेज की घोषणा के साथ या बाद में इस योजना की घोषणा की जा सकती है। सुस्त इकॉनमी में गति लाने के लिए राहत पैकेज की घोषणा अक्टूबर के आरंभ में हो सकती है।
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में पिछले तीन साल में मात्र 6.70 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकी हैं, जबकि हर साल करीब 1 करोड़ से ज्यादा युवाओं को नौकरी की ज़रूरत होती है। आपको याद दिला दें कि सरकार प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरी के मौके उपलब्ध कराने का अपना वायदा भी नहीं निभा पा रही है। इकॉनमी की धीमी होती रफ्तार और डिमांड कम होने से हर साल लाखों आईटी इंजिनियर रखने वाली कंपनियां अब कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। देश के लिए यह अत्यंत चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि पिछले साल देश में बेरोजगारों की संख्या 1.77 करोड़ थी, जो इस साल 1.78 करोड़ तक जा सकती है।
श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अधिकांश कंपनियाँ परमानेंट जॉब इसलिए नहीं दे पातीं क्योंकि उन पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। इसलिए वह अस्थायी तौर पर युवाओं को भर्ती करती हैं। इसी बात से सरकार त्रस्त है क्योंकि इन वजह से वह अपना नौकरियाँ देने वाला वायदा पूरा नहीं कर पा रही है। अब अस्थायी तौर पर भर्ती को मार्केट और एक्सपर्ट नौकरी नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि कंपनियां ऐसी भर्तियां तीन महीने, छह महीने या सालभर के लिए करती हैं, बाद में नए लोगों को नौकरी पर रख लेती हैं।