पीयूष चिलवाल | Navpravah.com
भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ में आयोजित संसद के विशेष सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपा एवं आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, “हमें भूलना नहीं चाहिए कि देश में ऐसे संगठन तथा लोग भी मौजूद थे जिन्होंने 1942 के आंदोलन का विरोध किया था। ऐसे लोगों का देश की आजादी में कोई योगदान नहीं था।’’
उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि देशवासियों के मन में कई आशंकाएं भी हैं कि अंधकार की शक्तियां फिर फैल रही हैं। जहां आजादी का माहौल था, वहां भय फैल रहा है। कई बार कानून के राज पर भी गैरकानूनी शक्तियां हावी दिखाई देती हैं। भारत छोड़ो आंदोलन एक याद है, जो हमें प्रेरणा देती है कि अगर हमें आजादी को सुरक्षित रखना है, तो हरेक दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा, फिर चाहे वह कितनी भी सक्षम क्यों न हो। हमें उस भारत के लिए लड़ना है, जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं।
वहीं जदयू सांसद शरद यादव ने कहा, “मुझे गर्व है कि मेरे दादा-परदादा आजादी की लड़ाई में शामिल थे। आजादी की लड़ाई के लिए झांसी की रानी, मंगल पाड़ें और भगत सिंह समेत कइयों ने कुर्बानियां दीं और कितने ही लोग कुर्बान हो गए। जो मुल्क़ इतिहास के साथ छेड़खानी करता है, वह पूरी कौम के साथ छेड़खानी होती है।”
इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “देश के स्वतंत्रता आंदोलन में इतने व्यापक और तीव्र आंदोलन की कल्पना अंग्रेजों ने भी नहीं की थी। महात्मा गांधी समेत कई नेता जेल चले गए और उसी समय कई नए नेताओं का भी जन्म हुआ। लाल बहादुर शास्त्री और राम मनोहर लोहिया समेत कई नेताओं ने उस समय उस जगह को भरा।” साथ पीएम मोदी ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी के मुंह से ’करेंगे या मरेंगे’ शब्द देश के लिए अजूबा थे। गांधी जी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं- हम करेंगे या मरेंगे। उस समय जनभावनाओं के अनुकूल बापू ने इन शब्दों का प्रयोग किया था। हर कोई इन शब्दों के साथ जुड़ गया था। आज आजाद हिन्दुस्तान का मंत्र है – करेंगे और करके रहेंगे।”