मिशन यूपी 2017 के तहत आज लखनऊ से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई में रथयात्रा की शुरुआत हो गई । चंद महीनों बाद यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस नाते समाजवादी पार्टी के लिए आज का दिन बड़ा ही अहम है। लेकिन इस रथयात्रा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने कई महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़े कर दिए जिसमें सबसे अहम ‘बदहाली से जूझ रहा सूबे का किसान’ है ।
अखिलेश की विकास रथयात्रा जिन-जिन जिलों से गुजरेगी वहां के किसानों को जरूर दुःख होगा क्योंकि अपने अभी तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों की बदहाल स्थिति को सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया है । प्रदेश में पिछले चार साल में सैकड़ों किसानों की जो शव यात्रायें निकलीं, उनके लिए सरकार ने क्या किया ! सपा सरकार ने कोई आधारभूत परिवर्तन नहीं किया जिससे किसानों की आय बढ़ सके। अगर किसानों से पूछा जाए कि अब तक क्या परिवर्तन हुआ है ? क्या आप की आय बढ़ी है ? क्या आप प्रदेश सरकार से संतुष्ट हैं ? वह गुस्से में ही इसका उत्तर देंगे। किसानों के लिए बुंदेलखंड में न पानी सही से मिल रहा है और न ही योजनाएं। सपा पार्टी तो कह सकती है कि पानी मिल रहा है। अगर दूसरी तस्वीर पर गौर किया जाये तो सरकार खनन पर भी रोक नहीं लगा पाई है अब तक।
पिछले साल उत्तर प्रदेश से किसानों की आत्महत्याओं की खबरें आईं तो उसकी वजह वहां किसानों का चीनी मिलों पर हज़ारों करोड़ रुपए का बकाया था । उसके बाद से हालात और बदतर हुए हैं । अभी भी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का करीब आठ हज़ार करोड़ रुपए का बकाया है । बड़ी तादाद में ऐसे किसान हैं जिनकी जोत दो एकड़ या इससे भी कम है, लेकिन उनको दो साल से गन्ना मूल्य का आंशिक भुगतान ही हो सका है। पहली बार इन संपन्न माने जाने वाले इलाकों में बच्चों की शिक्षा से लेकर लड़कियों की शादियां तक अटकी हैं।
सरकार ने इस व्यवस्था को व्यवहारिक बनाने और वित्तीय राहत प्रक्रिया को तय समयसीमा में करने के लिए क़दम नहीं उठाए हैं ।
हिंदी न्यूज की मशहूर बेबसाइट ‘सत्याग्रह’ के अनुसार, पिछले साल मार्च के बाद पूरे बुंदेलखंड में 650 से ज्यादा किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबर है । यानी बुंदेलखंड में पिछले एक साल से हर दिन दो किसान आत्महत्या कर रहे हैं। यह आंकड़ा स्थानीय मीडिया में किसानों की आत्महत्या की खबरों के आधार पर निकाला गया है। ये अधिकारिक आंकड़े नहीं हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने किसान आत्महत्या से जुड़े विवाद से बचने के लिए अनोखा तरीका ईजाद किया है। आत्महत्या करने वाले किसान के बारे में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जाती। इसके चलते नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में इस संबंध में भेजा गया डेटा अक्सर भ्रामक होता है।
अब हम अगर आज से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई में शुरू हो रही ‘विकास रथ यात्रा’ के लक्जरी रथ की बात करें तो समाजवादी विकास रथ किसी मर्सिडीज गाड़ी से कम नहीं है। ये बस एक 10 टायर वाली बस है, जिसे मोडिफाई करके रथ का रूप दिया गया है। रिपोर्ट्स में इस समाजवादी विकास रथ की कीमत 5 करोड़ बताई जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जानकारों का मानना है कि जिस तरह का रथ बना है उसके निर्माण में पांच करोड़ रुपये खर्च हुए होंगे। जितना दिखाई दे रहा है उस हिसाब से समाजवादी रथ में एक हाइड्रोलिक लिफ्ट लगी है। लिफ्ट से अखिलेश यादव को ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे वह सड़क पर पब्लिक मीटिंग को संबोधित कर सकते हैं। लिफ्ट के अलावा बस में सीसीटीवी कैमरा, एलसीडी टेलीविजन, सोफा और आराम करने के लिए बेड भी है। बस में एक लाउडस्पीकर भी फिट है, जिसमें समाजवादी सरकार के विकास कार्यों का एक कैपेन सॉन्ग बजेगा। साथ ही इंटरनेट कनेक्टिविटी, वाई-फाई जैसी सुविधाएं भी हैं। लेटेस्ट खबरों पर नजर रखने के लिए बस में बड़ी टीवी स्क्रीन लगी है। बस पर सीएम अखिलेश यादव का साइकिल चलाते हुए एक बड़ा फोटोग्राफ लगा हुआ है। बस के सामने की ओर साइकिल का फोटो है, जो कि समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह है। समाजवादी रथ के पीछे पार्टी सुप्रीमो और पिता मुलायम सिंह यादव की दो फोटो लगी हुई हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पूरे कार्यकाल के दौरान सूबे में सैकड़ों किसानों की शवयात्राएं निकलती रहीं। ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ये करोड़ों की ‘विकास रथ यात्रा’ उनके शासन काल में किसानों की निकली शवयात्रायों को छुपा पाएगी ? इस रथयात्रा से किसानों के घाव पर कितना मरहम लगेगा ये तो आने वाला चुनाव ही बताएगा।