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मध्य प्रदेश के 35000 संविदा स्वास्थ्य कर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर पिछले 13 दिनों से बैठे हुए हैं. प्रदेश के 51 जिलों में गत 29 फरवरी से ये हड़ताल जारी है जिस कारण इमरजेंसी छोड़ बड़े स्तर पर सेवाएँ प्रभावित हैं.
संविदा स्वास्थ्य कर्मी, मयंक चतुर्वेदी और उनके साथी जो फूलबाग, ग्वालियर स्थित गाँधी उद्यान, धरना स्थल पर पिछले 11 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, उन्होंने बताया कि, “ संविदा पर कम कर रहे इन स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों को लम्बे समय से शासन द्वारा पूरा न किये जाने को लेकर ये कदम उठाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के एक आर्मी स्कूल मामले में आदेशानुसार संविदा जैसा कुछ होता ही नहीं है, बल्कि इन्हें अतिथि कहा जाता है जो केवल कुछ दिनों के लिए कर्मचारी के तौर पर विभागों में आते हैं.”
उन्होंने ये भी बताया की, इस अनियमितता से क्षुब्ध होकर अनुराधा टेकाम (ANM), बिछिया ब्लॉक ,जिला मंडला में 4 फरवरी को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस घटना से सम्पूर्ण संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ क्षुब्ध है, तथा शासन द्वारा लगातार उनकी बातों की अनसुना किये जाने के बाद ही वो इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के निर्णय पर पहुंचे हैं.
हड़ताल पर बैठे म.प्र. के स्वास्थ्य विभाग एवं विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत कार्यरत समस्त संविदा कर्मचारियों की प्रमुख मांगे हैं, कि शिक्षा विभाग की भांति स्वास्थ्य विभाग परियोजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि के बाद नियमित रूप से नियुक्त किया जाये तथा इस सम्बन्ध में नियमावली भी तैयार की जाए. मांगों को लेकर एक विस्तृत पत्र एम्.एस.बघेल,जिला अध्यक्ष,संविदा स्वास्थ कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश जिला ग्वालियर की ओर से ज्ञापित किया गया है.
9 फरवरी को मयंक सहित उनके साथियों ने भारत के माननीय राष्ट्रपति महोदय को अपने खून से पत्र लिखे जिनमे उन्होंने वर्षों से सेवारत संविदा कर्मियों को स्थायी पद्नियुक्त किये जाने की गुजारिश की या फिर उन्होंने स्वयं के लिए इच्छामृत्यु अनुमति की मांग की है.