अमित द्विवेदी@नवप्रवाह.कॉम,
निर्देशक– मेघना गुलज़ार
संगीतकार/लेखक– विशाल भारद्वाज
गीतकार– गुलज़ार
मुख्य कलाकार– इरफ़ान खान, कोंकणा सेन, तब्बू।
जिस देश की सुरक्षा व्यवस्था मर्डर जैसे संवेदनशील मसले को सांप सीढ़ी का खेल समझे वहाँ न्याय की अपेक्षा करना, स्वयं से एक छलावा मात्र है। एक ऐसे ही संवेदनशील मुद्दे को सिनेमा की शक्ल दी है निर्देशक मेघना गुलज़ार ने। मेघना द्वारा निर्देशित फ़िल्म तलवार जिसकी पटकथा लिखी है मशहूर लेखक-निर्देशक विशाल भारद्वाज ने, एक ज़ोरदार तमाचा है देश की सुस्त और आराम पसंद प्रशासनिक व्यवस्था को। आरुषि डबल मर्डर केस में निर्देशक ने स्थानीय पुलिस के इन्वेस्टिगेशन सिस्टम पर बड़ा सवाल किया है। पुलिस प्रशासन और सीबीआई जैसे जांच समूह के भीतर के शीतयुद्ध को भी दर्शाया गया है, जिसकी वजह से कई मर्तबा बेगुनाहों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
फ़िल्म में इंटरवल का पहला हिस्सा थोड़ा सुस्त है लेकिन दुसरे हिस्से को बेहद रोमांचक बना दिया है लेखक ने। कोंकणा सेन को स्क्रीन स्पेस कम मिला है, बावजूद इसके उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता को सिद्ध किया है। वहीं इरफ़ान खान ने अपनी बेहतरीन कलाकारी का एक और नमूना पेश किया है। कुछ समय के लिए तब्बू भी नज़र आई हैं। सपोर्टिंग एक्टर्स ने भी पटकथा के साथ पूरा न्याय किया है।
विशाल की तमाम फिल्मों की तरह ही इस फ़िल्म में भी गुलज़ार साहब के बोल कहानी के भाव को बड़ी खूबसूरती से उकेरते हैं। फ़िल्म की एक अच्छी बात यह भी है कि इसमें बेवजह गाने नहीं डाले गए हैं। जिसकी वजह से कहानी दर्शक को जोड़े रहती है। फ़िल्म आपको वर्तमान सुरक्षा के प्रति एक बार फिर से सोचने पर मजबूर करती है। देखना यह है कि फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद इस केस को लेकर कुछ बात उठती है!
सोचने पर मजबूर करती है फ़िल्म ‘तलवार’। दर्शकों को फ़िल्म के लिए समय ज़रूर निकालना चाहिए।
रेटिंग– ***