ब्यूरो
आज उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के खिलाफ याचिका को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमे केंद्र की ओर से आए एएसजी पर न्यायालय ने नाराज़गी व्यक्त की। एएसजी ने कहा कि राष्ट्रपति के फैसले पर कोर्ट को दखल देने का अधिकार नहीं। एएसजी की इस बात पर नाराज़ न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि राष्ट्रपति राजा नहीं हैं कि उनका फैसला अटल हो। फैसले की भी समीक्षा की जा सकती है।
बुधवार को केंद्र की तरफ से पेश हुए एएसजी की बातों पर न्यायालय ने काफी नाराज़गी व्यक्त की। न्यायालय ने राज्यपाल का ज़िक्र करते हुए एएसजी से कहा कि वोटों के बंटवारे के संबंध में एक दिन पहले की जानकारी मिल गई थी, फिर भी राज्यपाल ने अपने पत्र में इस पर कुछ भी क्यों नहीं लिखा।
जिरह करते हुए कॉंग्रेसी नेता मनु सिंघवी ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना केंद्र सरकार के अधिकारों का स्पष्ट दुरुपयोग है। उन्होंने न्यायालय से कहा कि यदि ऐसा ही होता रहा तो किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री सुरक्षित ही नहीं रहेगा।
मनु ने अधिकारों की बात करते हुए कहा कि राष्ट्रपति, राज्यपाल या केंद्र तय नहीं कर सकते कि मत विभाजन की मांग मानी जाए या नहीं। उन्होंने राज्यपाल की गतिविधियों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि राज्यपाल ने केंद्र को भेजी किसी रिपोर्ट में संवैधानिक संकट का जिक्र नहीं किया है। हाउस में ही बहुमत का फैसला होता है।