बजट सत्र के दौरान राष्ट्रवाद और जातिवाद पर हुई बहंस में बुधवार को जहाँ मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने विपक्ष व अन्य पार्टियों का मुंह बंद कर दिया था वहीं गुरुवार को इस बहंस में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली,एनसीपी नेता डी पी त्रिपाठी और माकपा नेता सीताराम येचुरी भी शामिल हुए.जेटली ने विपक्ष के आरोपों पर कई सवाल खड़े किए.
जेटली ने विपक्ष से पूछा कि आखिर राष्ट्रद्रोह अभिव्यक्ति की आज़ादी कैसे बन सकता है?उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या हम ऐसे लोगों को समर्थन दे रहे हैं जिनकी सोच देश को बांटने की है?जेटली ने कांग्रेस पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि दुर्भाग्य की बात यह है कि कुछ लोग सोचते बाद में हैं और करते पहले हैं.जेटली ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जेएनयू जाने से पहले आपको सोचना चाहिए था,आप तो काफी समय से सत्ता में हैं,हम नए नए आये हैं.आपके दो दो नेता आतंकवाद की बलि चढ़े हैं ,इसलिए आपको इस विषय में अधिक संवेदनशील होना चाहिए.
इस बहंस के दौरान डी पी त्रिपाठी ने रोहित वेमुला की मौत को संस्थागत हत्या करार दिया.उन्होंने भी पलटवार करते हुए सवाल किया कि एबीवीपी की रैली में क्या हुआ? उन्होंने कहा,” दिल्ली यूनिवर्सिटी में एबीवीपी सदस्य जो छात्र संघ के अध्यक्ष हैं, उन्होंने कहा कि हम कैंपस में घुस कर धोखेबाज़ों को गोली मारेंगे.यह भी तो नफरत फ़ैलाने वाला बयान है. आज अपराधी हमे देशभक्ति सिखा रहे हैं?” उन्होंने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि वे 9 फरवरी की घटना को जेएनयू संस्थान की छवि बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
जेडीयू नेता के सी त्यागी ने स्मृति ईरानी के बुधवार के भाषण पर जवाब देते हुए कहा कि किसी ने भी स्मृति ईरानी की जाति नहीं पूछी, डी पी त्रिपाठी, नरेश अग्रवाल, राजीव शुक्ल या स्वयं उनकी अपनी जाति नहीं पूछी.परंतु आंबेडकर से उनकी जाति पूछी गयी थी. जगजीवन राम, कर्पूरी ठाकुर, पी एल पूनिया, कुमारी शैलजा व मायावती से उनकी जाति पूछी गई.
इसका जवाब देते हुए स्मृति बोलीं कि उन्होंने कभी कोई जातिवादी बयान नहीं दिया न ही कोई ऐसी टिप्पणी की.