नितीश ने त्यागा मुख्यमंत्री पद, कहा, “भ्रष्टाचार के साथ कोई समझौता नहीं”

शिखा पाण्डेय । Navpravah. com

लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार के घोटालों के दावानल में घिर जाने के बाद से धर्म संकट में घिरे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंततः स्वयं इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा मंज़ूर भी कर लिया गया है। तमाम उठापटक व आतंरिक मंथन के बाद नितीश कुमार ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को अपना इस्तीफा सौंपा। राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने में बाद नीतीश कुमार मीडिया से रूबरू हुए व कहा कि उन्हें अपने उसूलों के खिलाफ कोई समझौता मंज़ूर नहीं था। ज़मीन घोटाले में घिरे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे की लगातार मांग के बीच नितीश कुमार का स्वयं इस्तीफा दे देना वाक़ई राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा गया है।

नितीश कुमार ने कहा,” हमने गठबंधन सरकार का एक तिहाई कार्यकाल सफलता पूर्वक पूर्ण किया। जितना संभव हुआ, गठबंधन धर्म का पालन भी किया। इसके बाद जो चीज़ें सामने आईं, मेरे लिए उनके साथ समझौता करना असंभव था।” नितीश ने कहा, “मैंने कभी किसी का इस्तीफा नहीं माँगा। मैंने कहा आरोप पर अपना पक्ष साफ़ कीजिये। लेकिन कोई सफाई नहीं मिली।”

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा बार बार नितीश की खामोशी व उनके पक्ष पर प्रश्न खड़ा करने के विषय में उन्होंने कहा, ” अगर आप संकट में हैं, और मेरे साथ की इच्छा रखते हैं, तो पहले ये सोचिये कि आपने खुद ये संकट खड़ा किया है। यदि अपना पक्ष स्पष्ट कर देते, तो काम आसान होता। पर ये मेरे स्वाभाव व काम करने के तरीके के अनुरूप नहीं है।”

बार बार गठबंधन पर शंका ज़ाहिर किए जाने पर नितीश ने कहा, “नोटेबन्दी का मैंने समर्थन किया, खुद मांग की कि बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई कीजिये। फिर मैं कैसे पीछे हटाता! गांधी जी ने कहा है, नीड की पूर्ती होती है ग्रीड की नहीं। मैं भी विपक्षी एकता का पक्षधर हूँ। पर उसका कोई एजेंडा होना चाहिए।” उन्होंने कहा, ” सिर्फ रिएक्टिव एजेंडा से कम नहीं चल सकता। जिस बिहार के लिए काम कर रहा हूँ, वहां के जनमत में इस चर्चा के अलावा कोई अन्य बात नहीं हो रही । ऐसे में राज्य का नेतृत्त्व करना असंभव हो गया था व इस्तीफा देना ही सर्वोचित था।” नितीश ने कहा कि हर संभव प्रयास के बाद भी जब कोई अन्य रास्ता न दिखा तो खुद वो स्थान त्यागना ही उत्तम विकल्प था क्योंकि ‘लोकतंत्र लोकलाज से चलता है।’

भाजपा से गठबंधन के विषय में पूछे गए प्रश्न पर गोल गोल जवाब देते हुए नितीश बोले, “जब तक अन्य इंतेज़ाम नही होता, काम चलता रहेगा। मेरा कमिटमेंट बिहार के प्रति है। बिहार की बेहतरी के लिए जो संभव होगा, वो कदम उठाया जाएगा।”

इस्तीफे के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर नितीश कुमार को बधाई दी। उन्होंने लिखा, ” भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नितीश जी को बधाई। 125 करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना देश व समय की मांग है।” नितीश कुमार के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से कहा, “अटल जी के समय से हमने नितीश जी के साथ काम किया है। हमने उन्हें नहीं छोड़ा, उन्होंने हमें छोड़ा था। अब निर्णय उनका है।”

इन सारे अकस्मात निर्णयों व बयानबाज़ियों के बीच भाजपा व जेडीयू का गठबंधन कहीं न कहीं जुड़ता नज़र आ रहा है, बाकी जवाब ‘समय’ व दोनों पार्टियों के हाथ हैं।

1 COMMENT

  1. मोदी की सत्ता पिपासा नीतीश ने शांत की …..? पर समझ मे नही आता नीतीश बाबू मोदी से आंख कैसे मिलाएंगे ….? अब तो मोदी के इशारे पर ही चलना होगा न …?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.