स्पेशल रिपोर्ट: जानिए, कब कब गिरी मीडिया पर कानून की गाज़

आनंद रूप द्विवेदी,

देश के प्रमुख समाचार चैनल NDTV India पर पठानकोट हमले के दरम्यान संवेदनशील सामरिक गतिविधियों को प्रसारित किये जाने के दंड स्वरुप मिनिस्ट्री ऑफ़ इनफार्मेशन एंड ब्रॉडकास्ट ने 9 नवम्बर को 1 दिवसीय बैन लगा दिया है। इस मुद्दे पर एक खास पत्रकारिता वर्ग उल जुलूल बातें कर रहा है। कुछ ने इसे इमरजेंसी कालीन फरमान करार दिया तो कुछ ने मूलभूत अधिकारों कि अवहेलना। किसी ने कानून की बात को समझने का प्रयास किये बिना ही कुछ भी बोलना शुरू कर दिया है।

मजेदार बात ये है कि विपक्ष के नेता जो स्वयं मीडिया पर नकेल कसने के लिए सिद्धहस्त हैं, वो भी NDTV पर लगाए गए बैन से असहज महसूस कर रहे हैं, जबकि कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय राजनीतिक लालसाओं से परे रखा जाना चाहिए।

देश में किसी चैनल को पहली बार केबल टेलीविजन नेटवर्क्स अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत बैन नहीं किया गया है, बल्कि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। आइये देखते हैं ऐसे कौन कौन से मौके थे, जब टीवी चैनलों पर नियमों की अवहेलना करने के कारण बैन लगाया गया:

1. फैशन टीवी–  4 सितम्बर, 2009 को फैशन टीवी पर समय 15:37:34 से 19:01:48 के बीच एक कार्यक्रम प्रसारित किया गया, जिसमें एक महिला मॉडल के शरीर के ऊपरी भाग वक्षस्थल को नग्न (Topless) अवस्था में प्रसारित किया गया। इसे बेहद आपत्तिजनक मानते हुए Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995  के तहत 10 दिन का प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। इस समय देश में यूपीए सत्तारूढ़ थी।

2. AXN – मार्च 2010 में सोनी ग्रुप के इंटरटेनमेंट चैनल AXN को World’s Sexiest Advertisements नामक प्रोग्राम में अश्लील कार्यक्रमों के प्रसारण पर प्रतिबन्ध लगाते हुए 2 माह के लिए बैन लगाया गया था। उक्त बैन वैधानिक रूप से तत्कालीन यूपीए सरकार के मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी के आदेशों पर लगाया गया था।

3. कॉमेडी सेंट्रल- 4 जून 2012 को कॉमेडी सेंट्रल चैनल पर 00:01 बजे से 25 May 00:01 बजे तक का बैन लगाया गया था. चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान अश्लील व आपत्तिजनक संवादों के प्रसारण का आरोप था। Cable Television Networks Rules, 1994 के प्रावधानों के तहत उक्त प्रतिबन्ध यूपीए के शासनकाल के दौरान लगाया गया था।

अवैधानिक ढंग से मीडिया पर प्रतिबन्ध अनावश्यक रूप से लगाया जाना गलत है और नवप्रवाह मीडिया नेटवर्क्स  इसका खंडन करता है, क्योंकि ऐसा करना न केवल भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों के विरुद्ध है, अपितु लोकतान्त्रिक व्यवस्था की संरचना के प्रति घातक भी है। साथ ही, किसी भी मीडिया हाउस को संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता का लाभ एक सीमित दायरे तक ही उठाना चाहिए, जिसका हर पत्रकार और नागरिक  द्वारा सदैव ध्यान रखा जाना चाहिए।

मीडिया द्वारा प्रसारित ख़बरों, फुटेज और सूक्ष्म जानकारी ऐसी हो, जिसका लाभ विषम परिस्थिति काल में शत्रु राष्ट्र द्वारा न उठाया जा सके। भारतीय लोकतंत्र का चौथा खम्भा माने जाने वाले मीडिया समुदाय को देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता, और सर्वोपरि सुरक्षा का सम्पूर्ण हित सोचना चाहिए, जो कि किसी भी प्रकार के व्यापारिक व व्यक्तिगत लाभ से अति महत्त्वपूर्ण है।

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