शहीद भगत सिंह के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यक्ता है- अभितेज सिंह

शहीद भगत सिंह का सपना था कि आजादी के बाद एक ऐसा मुल्क बनाएंगे, जिसमें कोई एक व्यक्ति इतना अमीर नहीं होगा कि किसी को खरीद सके और कोई इतना गरीब न हो कि खुद को बेच सके। भगत सिंह की शहादत का आज के वर्तमान समय में कितना असर पड़ा है, ऐसे तमाम मुद्दों पर हमारे संवाददाता अनुज हनुमत ने की भगत सिंह के प्रपौत्र अभितेज सिंह से बातचीत। प्रस्तुत उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश –

प्रश्न- आज की युवा पीढी को आप शहीद-ए-आजम भगत सिंह के कितने करीब पाते हैं ?

अभितेज- देखिए दिली तौर पर तो आज के युवा भगत सिंह के बहुत करीब हैं। भगत सिंह एक युवा एक रिबेल की निशानी हैं, विरोध की भी निशानी हैं। नौजवान साथी खुद को भगत सिंह जैसा ही समझते हैं पर असल मायने में भगत सिंह को समझने की भी बहुत जरूरत है।

प्रश्न- आज के समय में आप किस युवा नेतृत्व को भगत सिंह के नजदीक पाते हैं ?

अभितेज- नौजवानों को नेतृत्व पर निर्भर होने की या हर जगह नेतृत्व ढूँढने की जरूरत नहीं। हम हमेशा आशा करते हैं कि हमें कोई आगे ले जायेगा। एक तर्ज पर जंग-ए-आजादी लड़ी गई थी, तब वो पंक्ति थी ‘खुदी को कर बुलन्द इतना की खुदा बन्दे से खुद पूछे, बता तेरी रजा क्या है’। तो इसके ऊपर पूरी जंगे आजादी लड़ी गई थी, तो आज नौजवानों को भी खुद को बुलन्द करने की आवश्यकता है और उसमें से ही भगत सिंह और राजगुरु निकलेंगे।

प्रश्न – अभी हाल में कई लोगों ने कन्हैया कुमार की तुलना भगत सिंह के साथ की ,इसे आप कैसे देखते हैं ?

अभितेज- देखिये भगत सिंह एक व्यक्ति का नाम नही बल्कि एक विचार है। उनको मानने वाले उनका अनुसरण करने वाले और उनको जीने वाले लाखों लोग हैं। इस दुनिया में तो उनकी तुलना करना बिल्कुल भी उचित नहीं।

प्रश्न – दोनों में आप क्या फर्क मानते हैं ?

अभितेज – मैं एक बात मानता हूँ कि कन्हैया कुमार ने जो सवाल उठाये हैं वो बड़े वाजिब हैं। कोई सवालों की बात नहीं कर रहा पता नही क्यों नही कर रहा है। उन्होंने जिन बातों को उठाया है वो बहुत काबिलेतारीफ हैं।

प्रश्न – क्या कन्हैया कुमार की शहीद ए आजम भगत सिंह से तुलना की जा सकती है? कांग्रेस नेता शशि थरूर ने तो कहा है साफ़-साफ!

अभितेज – शहीद भगत सिंह और कन्हैया की तुलना कतई नही की जा सकती है। भगत सिंह 23 साल में शहादत प्राप्त कर गए थे, इसलिए तुलना तो हरगिज नही की जा सकती है। और हाँ, शशि थरूर ने जो कहा है, उसका जवाब तो वही दे सकते हैं। शशि थरूर जी की राजनीतिक अकुशलता हो सकती है पर मुझे पता नहीं कि इतने बड़े नेता हैं, तब भी उनका ऐसी तुलना करना बड़ा चकित करता है।

प्रश्न – एक युवा होने के नाते आप शहीद भगत सिंह की शहादत को कैसे देखते हैं?

अभितेज – हर एक युवा भगत सिंह से बेहद प्यार करता है। वो हर एक नौजवान के आदर्श हैं। हाँ, पर एक बात है कि 70 वर्ष बाद भी आज भगत सिंह दिलों पर राज करते हैं, पर आज जरूरत है कि युवा शहीद भगत सिंह को दिल के साथ दिमाग पर भी पहुंचाएं। शहीद भगत सिंह को फैशन के तौर पर न लें क्योंकि वे बहुत कूल किस्म के व्यक्ति थे। आज के युवाओं को उनके विचारों का भी अध्ययन करना चाहिए।

प्रश्न – अभी हाल ही में एक आर टी आई द्वारा जानकारी मांगने पर यह पता लगा था कि सरकार आज भी भगत सिंह को शहीद नही मानती। इस पर आपका क्या कहना है?

अभितेज – देखिये, आज की तारीख में मुद्दा ये नहीं है कि भगत सिंह हैं या नही। भगत सिंह की आत्मा रोती होगी या हसती होगी। भगत सिंह ने देश के लिए जो शहादत दी थी, वो किसी दर्जे के लिए नही दी थी। शहीद भगत सिंह का जो नाम है वो किसी टाइटल का मोहताज नहीं। वो आज भी सबके दिलों में राज करते हैं। मुद्दा ये है कि भगत सिंह ने जिस कारण के लिए कुर्बानी दी थी, क्या हमारी सरकार ने उस तरफ कदम बढ़ाये हैं।

प्रश्न – शहीदों के जो शहीद स्थल या जन्म स्थान हैं, ऐसे सभी स्थल आज जिस बदहाल स्थिति में हैं वो सरकार की उपेक्षा का ही परिणाम है। आपको क्या लगता है ये सही है?

अभितेज – बिल्कुल सहेजना चाहिए, क्योंकि जिनके कारण हम आज आजाद हैं और हमारे पास राजनैतिक, सामाजिक आजादी है। उनको जो लोग या जो जो कौमें अपने इतिहास को भूल जाती हैं, उनमे इतिहास रचने की शक्ति नही होती है। यह जरुरी है कि ऐसे जो भी स्थान हैं, वहां सरकार को प्रयास तेज करना होगा। ये आजादी मुफ्त में तो मिली नहीं। जितने भी महापुरुषों के स्थल हैं, उन्हें अच्छी तरीके सहेजना चाहिए ताकि आने वाले पीढियां भी उससे सीख ले सकें। जंग ए आजादी कोई खैरात पर नहीं मिली। लाखों लोगों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ी है, ऐसी कुरबानियों को पूरा देश याद रखता है। आजादी की कीमत वही बता सकता है जिसने कुछ गंवाया हो, इसलिए जरुरी है कि ऐसे स्थानों को सहेजना चाहिए।

प्रश्न – आज के युवाओं के लिए आप क्या सन्देश देना चाहते हैं?

अभितेज – निःसंदेह हम भगत सिंह को दिल से बहुत प्रेम करते हैं। जैसा देश में माहौल बन रहा है और जो अव्यवस्थायें देखी जा रही हैं, उनका हल केवल भगत सिंह के विचारों को पढ़कर अपनाने पर होग। वाकई अगर भगत सिंह को सम्मान देना है तो सर्वप्रथम हमें भगत सिंह के लिखे विचारों को पढ़ना होगा। मेरा युवाओं से निवेदन है कि अगर आप वाकई में भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं, तो उनकी मूर्तियों के अलावा उनकी सोंच के ऊपर फूल चढ़ायें और उनके लिखे हुए लेखों का अध्ययन करें ताकि हमें जो परिस्थितियां और चुनौतियाँ देश में दिख रही हैं, युवाओं के प्रति हम उन्हें हल कर सकें।

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