और नेहरु की माला बन गई बुधनी के लिए जीवन भर की सज़ा!

आनंद रूप द्विवेदी,

रूढ़ीवादी सोच कैसे एक अबला के जीवन को हाशिये पर ला खड़ा करती है, इसकी एक बड़ी मिसाल सामने आई है। ये दास्ताँ उस बुधनी मंझियान की है, जिसने कभी पंडित नेहरु से सम्मान प्राप्त किया था।

दरअसल बात सन 1959 कि है, जब तत्कालीन प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरु एक बाँध के उद्घाटन में पश्चिम बंगाल गए थे। उनकी इच्छा पर बाँध का उद्घाटन 17 वर्षीय एक जनजातीय महिला बुधनी मंझियान के हाथों से करवाया गया। कार्यक्रम के दौरान पंडित जी ने बुधनी को माला भेंट कर सम्मान भी किया। इस घटना ने बुधनी के जीवन में जैसे भूचाल ही ला दिया।

दैनिक भास्कर अखबार कि रिपोर्ट के मुताबिक़, उस रात संथाली समाज की पंचायत बुलाई गई और आश्चर्यजनक रूप से ये घोषणा कि गई कि बुधनी को प्रधानमन्त्री जवारलाल नेहरु ने माला भेंट की, इसलिए उनके समाज कि रीति के अनुसार अब वो पंडित जी कि ब्याहता है। बवाल यहीं तक सीमित नहीं था, बल्कि जवाहरलाल नेहरु चूंकि उनके समाज से ताल्लुक नहीं रखते, इसलिए एक गैर संथाली व्यक्ति से तथाकथित विवाह करने के अपराध में बुधनी को अपवित्र मानते हुए समाज और गाँव से बाहर निकाल दिया गया।

बुधनी उस समय दामोदर वैली कारपोरेशन में श्रमिक थी, लेकिन सन 1962 में उसे वहाँ से भी निकाल दिया गया। इसके बाद बुधनी झारखण्ड चली गई और अपने जीवन के सात वर्ष उसने संघर्ष में बिताए। भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, वहाँ उसकी दोस्ती सुधीर दत्ता नामक एक व्यक्ति से हुई, जिसने समाज के खौफ से बुधनी को पत्नी का दर्ज़ा तो नहीं दिया लेकिन वो तीन बच्चों की माँ जरूर बन गई।

जब सन 1985 में नेहरु जी के नाती राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने बुधनी कि दास्ताँ सुनी। बुधनी राजीव गाँधी से उड़ीसा में मिली, जिसके बाद दामोदर वैली कारपोरेशन ने उसे वापस काम पर रख लिया। भास्कर द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार, बुधनी अब रिटायर्ड है। अब वो कभी कभार वापस अपने गाँव जाती है, लेकिन फिर भी लोगों कि नजरों में उसे अपने लिए किसी प्रकार का सम्मान भाव नहीं दिखता।

बुधनी अब राहुल गांधी से अपने लिए एक घर और अपने बेटे के लिए नौकरी चाहती है, जिससे वो अपना बचा खुचा जीवन शान्ति से जी सके।

ये वो सदी है, जब हम चाँद और मंगल पर पहुँच बना पाने में कामयाब हो गये हैं। और उसी सदी में आज भी बुधनी और उस जैसी न जाने कितनी मजलूम औरतों को समाज और समाज के ठेकेदारों द्वारा बनाए गये दकियानूसी और मनगढ़ंत ढकोसलों की भेंट चढ़ना पड़ता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.