विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को “महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य पुरस्कार”

डॉ. जितेंद्र पाण्डेय,

संगम की सी पवित्रता और शालीनता समेटे साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की आत्मकथा “अस्ति और भवति” का चयन “महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य पुरस्कार” के लिए किया गया है।वर्ष 2016 के इस सम्मान की घोषणा कमला गोइन्का फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का की तरफ से की गई है। पुरस्कार की सम्मान राशि एक लाख है।

डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक और विगत 38 वर्षों से गोरखपुर से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका दस्तावेज़ के  संपादक हैं। तुलसीदास को अपना प्रिय कवि मानने वाले डॉ. तिवारी की आत्मकथा की प्रारम्भिक पंक्तियों में “कवित्त विवेक एक नहिं मोरे” की विनम्रता देखने को मिलती है।इन्होंने लिखा है -आत्मकथा लिखना एक प्रकार का अहंकार प्रदर्शन है।”

आगे अपनी बात को बढ़ाते हुए विश्वनाथ जी लिखते हैं -“और मैं चला हूं आत्मकथा लिखने! दो कौड़ी का आदमी और यह अहंकार !” कुल मिलाकर “अस्ति और भवति” एक एक बेजोड़ आत्मकथा है।ऐसी कृति का चयन साहित्य जगत के लिए शुभ और सम्मान प्रदाता संस्था के लिए गौरव की बात है।

इसके अलावा संग-संग फाउंडेशन द्वारा घोषित वरिष्ठ महिलाओं के लिए इक्यावन हजार रूपए का “रत्नीदेवी गोइन्का वाग्ददेवी पुरस्कार” 2016 के लिए कोलकाता की नामचीन लेखिका डॉ. कुसुम खेमानी जी का उनकी कृति “कुछ रेत ..कुछ सीपियां…विचारों की” के लिए चयन हुआ है। दिल्ली में आयोजित एक विशेष समारोह में चयनित साहित्यकारों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाएगा।

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