एनपी न्यूज़ नेट्वर्क । Navpravah.com
हैदराबाद में एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली पांचवीं क्लास की छात्रा को स्कूल यूनिफॉर्म नहीं पहने के कारण लड़कों के शौचालय में खड़े रहने की सजा दे दी गई. छात्रा को ये सजा उसकी फिजिकल एजुकेशन टीचर ने दी. इस घटना के लिए अभिभावकों ने सोमवार को स्कूल पहुंचकर प्रदर्शन किया. आंध्र प्रदेश बाल अधिकार संघ ने राज्य मानवाधिकार आयोग और पुलिस के साथ शिकायत दर्ज करने के बाद सोमवार को तेलंगाना सरकार ने इस घटना की जांच का आदेश दिया.
बाल अधिकार संगठन के अध्यक्ष पी अच्युता राव ने कहा कि उन्होंने असंवेदनशील कर्मचारियों और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि लड़कों के शौचालय में एक लड़की को सीमित करना किसी बच्चे के यौन शोषण से कम नहीं था.
घटना शनिवार को रामचंद्रपुरम स्थित बीएचईएल के परिसर स्थित राव हाईस्कूल में हुई थी. लड़की के पिता ने कहा जैसे ही वह अपनी कक्षा में प्रवेश कर रही थी, उसके शारीरिक शिक्षा की शिक्षक प्रियंका ने उसे रोक दिया और यूनिफॉर्म नहीं पहन कर आने की वजह पूछी. लड़की ने कहा कि उसकी मां ने यूनिफॉर्म धोने के लिए रखी थी इसलिए उसे सादे कपड़े पहन कर आना पड़ा. इस पर नाराज, प्रियंका को स्कूल की इमारत की पहली मंजिल पर लड़कों के शौचालय तक खींच कर ले के गई और कुछ समय के लिए वहां खड़ा किया.
लड़की के पिता ने चाइल्ड राइट्स एसोसिएशन को शिकायत के साथ एक वीडियो क्लिपिंग भी भेजी है. इसमें लड़की बता रही है “कक्षा 4 के कुछ छात्रों ने मुझे शौच में देखा और मुझ पर हँसे. मुझे बहुत बुरा लगा और शर्म आई, “उसने वीडियो क्लिपिंग में कहा कि उसके पिता ने बाल अधिकार संघ को अपनी शिकायत भेजी. “शाम को घर लौटने के बाद, मेरी बेटी सारी रात रो रही थी और अब स्कूल जाने से इनकार कर रही है.वह चाहते हैं कि मैं उसे किसी अन्य स्कूल में स्थानांतरित कर दूं, “रामकृष्ण ने शिकायत में कहा.
राइट ऑफ़ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन (आरटीई) अधिनियम, 2009 के अधिकार के तहत, छात्रों पर भौतिक और “मानसिक उत्पीड़न” अवैद्य है और एक दंडनीय अपराध है. लखनऊ में अगस्त में एक निजी स्कूल शिक्षक ने कक्षा तीसरी के छात्र को 40 बार थप्पड़ मारा क्युकी उसने रोल कॉल का जवाब नहीं दिया था, जिसके बाद उस शिक्षक पर क़ानूनी करवाई हुई.