न्यूज़ डेस्क | navpravah.com
केंद्र सरकार द्वारा लाया गया ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ यानि महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया हैं। यह बिल लोकसभा और राज्यसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का अधिनियम देता है, जिसे लोकसभा में उपस्थित सांसदों एवं लगभग सभी दलों का अपार समर्थन मिला। इस विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में केवल 2 मत पड़े।
लोकसभा में यह बिल दो तिहाई बहुमत से पास हुआ एवं वोटिंग पर्ची के माध्यम से कराई गयी थी। साथ ही इतिहासों की फेहरिस्त में इस बिल ने एक और इतिहास लिखा कि नवीन संसद के निचले सदन से पारित होने वाली यह पहली विधेयक बनी।
इस बिल के पिछले इतिहास को अगर समझे तो पिछले 27 सालों से भारतीय राजनीति के किसी ना किसी गलियारों में इसका जिक्र हो ही जाती थी फिर चाहे वो महिला वोट बैंक की एकत्रीकरण में या फिर नारी के कर कौशल के सशक्तिकरण में लेकिन 19 सितंबर 2023 को इस बिल को नवीन लोकसभा भवन में पेश किया गया एवं 20 सितंबर 2023 को यह बिल पहली बार लोकसभा से पास हुआ। अब आज (गुरुवार) को यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में केवल 2 मत पड़े. बिल के खिलाफ वोट करने वालों सांसदों में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनकी ही पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील हैं।
वहीं बिल पास होने के बाद इस जीत का सेहरा किसके सिर बंधे उसके लिए भी बयान बाजी का दौर शुरू हो गया जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को राजीव गांधी का सपना बताने लगी तो वहीं TMC ने ममता बनर्जी को इस बिल का जनक करार दिया।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा से विधेयक पारित होने के बाद हर्ष जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि इस अभूतपूर्व समर्थन के साथ लोकसभा में संविधान (128वां संशोधन) विधेयक विधेयक 2023 पारित होने पर खुशी हुई, मैं सभी पार्टियों के सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में मतदान किया।
हालांकि संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल को धरातल पर सूचारु रुप से आने में एवं पूरी प्रक्रिया पूरी होने में साल 2029 तक वक्त लग सकता हैं। सूचारु रुप में बिल पारित होने के पश्चात लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। हालांकि यह बिल अभी फिलहाल 15 साल के लिए ही लागू होंगा।