New Delhi. भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास तक Chandrayaan 2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर (vikram lander) को पहुंचाकर इतिहास रचा है। हालांकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों का संपर्क उससे चांद की सतह से करीब 2।1 किमी ऊपर से टूट गया।
अब वैज्ञानिक उसके डाटा का विश्लेषण कर रहे हैं। भले ही विक्रम लैंडर का संपर्क वैज्ञानिकों से टूट गया हो, लेकिन चांद की कक्षा पर मौजूद Chandrayaan 2 Orbiter पूरे एक साल तक चांद पर शोध करेगा और उसके रहस्यों पर से पर्दा हटाएगा। इसका जिक्र पीएम मोदी ने शनिवार को अपने संबोधन में भी किया। इसके लिए उसमें बेहद शक्तिशाली उपकरण लगे हैं।
कुछ ऐसा है Orbiter
Chandrayaan 2 Orbiter का वजन 2,379 किलोग्राम है। इसकी मिशन लाइफ 1 साल की है। पूरे Chandrayaan 2 मिशन में इसी Orbiter को अहम भूमिका निभानी है। इसी के जरिये विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर और धरती पर मौजूद ISRO के वैज्ञानिकों के बीच संपर्क होना है। यह चांद की कक्षा पर मौजूद रहेगा।
चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से मिली जानकारियों को धरती पर वैज्ञानिकों के पास भेजेगा। हालांकि अभी विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया है। लेकिन ISRO के वैज्ञानिकों ने क्रैश होने जैसी आशंका नहीं जताई है। उनका कहना है कि उसके डाटा का विश्लेषण हो रहा है। Chandrayaan 2 मिशन का 95 फीसदी पेलोड काम कर रहा है। मतलब Orbiter के सभी उपकरण सुचारू रूप से काम कर रहे हैं।