5 साल पहले यानी 2015 में लापता हुए मध्यप्रदेश के रीवा के नईगढ़ी थाना क्षेत्र के छंदहई गांव के अनिल साकेत को पाकिस्तान ने पूरे पांच साल के बाद रिहा कर दिया. घर लौटने पर उसका परिजनों और गांव के लोगों ने भव्य स्वागत किया. उसकी सकुशल घर वापसी पर पूरा छंदहई गांव खुशी से झूम उठा. मां ने अपने लाल की आरती उतारी और दादा ने उसका स्वागत किया. गांव में ढोल-ढमाके बचे और घर में गीत गाए गए. उसकी सकुशल घर वापसी पर पूरा छंदहई गांव खुशी से झूम उठा.
अनिल ने पैर छूकर बड़ों का आशीर्वाद लिया. परिवार और अनिल सब भावुक हो गए. परिवार ने तो अनिल के ज़िंदा होने की आस ही छोड़ दी थी. पोते को जीवित देख दादा इतने भावुक हुए कि हाथ जोड़कर अनिल का स्वागत किया. रीवा जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूरी बसे छंदहई गांव का अनिल साकेत 5 साल पहले 2015 में लापता हो गया था. परिवार ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल पाया. जब घर-परिवार सब तरफ से निराश हो गया था और अनिल के ज़िंदा रहने की आस भी खो बैठा था, तभी वर्ष 2019 में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने नईगढ़ी थाना क्षेत्र से लापता युवक अनिल साकेत की जानकारी मांगी. उसके बाद पता चला कि अनिल ज़िंदा है और पाकिस्नान में लाहौर की जेल में बंद है.
बेटे के ज़िंदा होने की खबर सुनकर परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा. उसके बाद शुरू हुआ अनिल की घर वापसी का प्रयास. रीवा और प्रदेश के सांसदों ने यह मुद्दा सदन तक पहुंचाया और अंतत: 14 सितंबर 2020 को पाकिस्तान सरकार ने अनिल साकेत सहित जेल में बंद तकरीबन 111 कैदियों को रिहा कर दिया. शुक्रवार को अनिल सरकारी अमले के साथ जब पहुंचा तो उसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा. अनिल लौट तो आया लेकिन गुमसुम सा था. वह पाकिस्तान कैसे पहुंचे यह किसी को पता नहीं है. उनकी दिमागी हालत खराब थी. इसलिए आशंका है कि भटकते-भटकते वह देश की सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया होगा.
अनिल की शादी हो चुकी थी. बीवी ने तीन साल तक ससुराल में रहकर अनिल के लौटने का इंतज़ार किया. अनिल के लौटने की कहीं से कोई उम्मीद न देख वो अपने मायके लौट गयी और मायके वालों ने उसकी शादी कर दी.