धर्म डेस्क। हर साल सावन मास की पूर्णिमा का इंतजार हर बहन को रहता है।क्योंकि इस बहने अपने भाईयों के हाथो में रक्षासूत्र बांध कर उसकी लंबी उम्र और सुख की कामना ईश्वर से करती हैं और अपनी रक्षा का वचन लेती है इस बार स्वतंत्रता दिवस यानीकि 15 अगस्त को रक्षाबंधन का ये पावन त्यौहार मनाया जायेगा।
इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का काला साया भी नहीं होगा और कई शुभ संयोग भी बनेंगे। ऐसा ही एक संजोग 2000 में भी बना था। रक्षा बंधन के 4 दिन पहले देव गुरु बृहस्पति मार्गी हो रहे हैं। । तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे मार्गी गुरु पर्व की शुभता को और कैसे बढ़ाऐ।
क्या होता है भद्रा काल
मान्यता कि माने तो जब भी भद्रा का समय होता है तो उस दौरान रक्षासूत्र नहीं बांधा जा सकता है। भद्राकाल के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। जिस तरह से शनि का स्वभाव क्रूर और क्रोधी है उसी प्रकार से भद्रा का भी है।उनके उग्र स्वभाव के कारण ब्रह्माजी ने इन्हें पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। पंचाग में इनका नाम विष्टी करण रखा गया है।
किसी विशेष दिन पर भद्रा लगने से शुभ कार्यों को करना निषेध माना जाता है।कहानियो के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में ही अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधा था जिसके कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल नहीं रहेगा। इसलिये बहनें भाइयों की कलाई पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच किसी भी समय पर राखी बांध सकती हैं।
रक्षा बंधन पर ये होगे अति शुभ मुहर्त
तिथि 15 अगस्त 2019
राखी का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन अनुष्ठान का समय- सुबह 5 बजकर 53 मिनट से शाम 5 बजकर 58 मिनट
अपराह्न मुहूर्त- दिन में 1 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 20 मिनट तक
पूर्णिमा तिथि आरंभ :14 अगस्त 2019 : दिन में 3 बजकर 45 से लेकर पूर्णिमा तिथि समाप्त : 15 अगस्त 2019 शाम 5 बजकर 58 तक
ऐसे करे पूजा अर्चना
रक्षा बंधन पर सुबह श्रवण नक्षत्र साक्षी रहेगा। इस दिन भगवान श्रवण के पूजन का विशेष महत्व है। श्रवण नक्षत्र में भगवान श्रवण का पूजन विशेष फलदायी माना गया है।