राजेश सोनी | Navpravah.com
भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान लन्दन की एक अदालत में माल्या के एक वकील ने कहा कि भारत के जजों पर सरकारी दबाव है, वहीं पाकिस्तान के जज ज्यादा तटस्थ होते हैं। माल्या के वकीलों ने भारत की न्याय व्यवस्था, जजों और मीडिया के निष्पक्षता पर सवाल उठाए। माल्या के वकीलों ने कहा कि विजय माल्या का भारत में “फेयर ट्रायल” नहीं हो सकता है।
बता दें कि 61 साल के भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या पर देश के अलग-अलग बैंकों से 9000 करोड़ रुपयों का कर्ज न चुकाने का आरोप है। इसके अलावा भगोड़े उद्योगपति माल्या पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है। इन दिनों भारतीय कानून के शिकंजे से बचने के लिए विजय माल्या काफी समय से लन्दन में रह रहा है और अब माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिशें जारी हैं।
सोमवार को माल्या के वकील क्लारे मॉन्टनगोमरी और मार्टिन लाउ ने सुनवाई के दौरान भारतीय जजों पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना था कि भरता के अदालतों के जज सरकार के दबाव में भी फैसला देते हैं, क्योंकि उनको रिटायरमेंट के बाद सरकारी सुविधाएं या फिर कोई सरकारी पद प्राप्त हो सके। आगे माल्या के वकीलों ने कहा कि भारत में आपराधिक न्याय व्यवस्था भ्रष्टतम स्तर पर है। माल्या के वकीलों को लगता है कि विजय माल्या का भारत में फेयर ट्रायल नहीं हो सकता है।
आगे इस मामले की सुनवाई के दौरान विजय माल्या के वकीलों ने भारत के पूरे न्याय व्यवस्था, जजों और मीडिया पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि भारत में भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या को इंसाफ नहीं मिल सकता है।