आतंक को बढ़ावा दे रहा होता, तो अब तक लाखों आतंकी बना देता -ज़ाकिर नाईक

अमित द्विवेदी,

तमाम विवादों में घिरे इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन प्रमुख इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाईक ने रविवार को इस बात को सरासर गलत बताया है कि उनके प्रतिबंधित एनजीओ द्वारा फंड का गलत इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों को भी बेबुनियाद बताया है। अपने भाषणों द्वारा ढाका हमलावर को प्रभावित करने का आरोप झेल रहे नाईक ने कहा कि अगर उन्होंने हिंसा का समर्थन किया होता तो वे मुसलमान नहीं रहते और समर्थन खो देते।

भड़काऊ भाषण देने और आतंक विरोधी कानून यूएपीए के ओरापी नाईक ने कहा कि उन्होंने कई बार एनआईए को सहयोग करने का ऑफर दिया है।

नाईक ने पीटीआई को दिए गए एक ई-मेल इंटरव्यू में कहा, “यह आरोप लगाना गलत है कि कुछ शरारती तत्व जो कि आतंकी ग्रुप से जुड़े हैं, वे मेरे भाषण से प्रभावित हुए हैं। अगर मैं सच में आतंक को बढ़ावा दे रहा होता तो क्या मैं अब तक लाखों आतंकी नहीं बना देता?”

उन्होंने कहा,”लाखों समर्थकों में से कुछ समाज विरोधी लोग हो सकते हैं जो कि हिंसा करते हैं, लेकिन वे उसको नहीं अपनाते, जो मैंने उनसे कहा है। अगर कोई हिंसा का रास्ता अपनाता है तो वह मुसलमान नहीं है और उसे मेरा समर्थन नहीं मिलेगा।”  जब नाईक से पूछा गया कि उनके एनजीओ ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ को बैन किए जाने पर वे किस तरह के कदम उठाए जाएंगे, तो उन्होंने कहा कि मुंबई और दिल्ली में मेरी टीम इस मुद्दे को लेकर कानूनी विकल्प देख रही थी और जल्द ही कोर्ट जाएगी।

गौरतलब है कि आईआरएफ पर बैन के बाद एनआईए लगातार छापे मार रही है। एनआईए के एक अधिकारी के मुताबिक अब तक संगठन के 20 परिसरों पर छापेमारी की गई है। जांच एजेंसी के अधिकारियों का एक दल नाईक के नफरत भरे भाषणों का अध्ययन कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि विदेशी चंदे सहित आइआरएफ के वित्तीय लेनदेन और नाईक के संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों की छानबीन की जा रही है।

एनआईए की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक तलाशी अभियान के दौरान नाईक के भाषणों के वीडियो टेप और डीवीडी संपत्त्ति व निवेश, वित्तीय लेनदेन, आइआरएफ और सहयोगी कपंनियों को मिले विदेशी व स्थानीय चंदे, सेस संबंधित दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक स्टोरेज डिवाइस बरामद किए गए।

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