स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए तंबाकू के इस्तेमाल पर रोक लगाना आवश्यक -जेपी नड्डा

JP Nadda, BJP national general secretary speaking during meet the press at press club on Thursday. *** Local Caption *** JP Nadda, BJP national general secretary speaking during meet the press at press club on Thursday. Express photo by Jaipal Singh 9-6-2011

शिखा पाण्डेय,

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के तंबाकू नियंत्रण ढांचा संधि पर कांफ्रेंस आफ पार्टिज (सीओपी 7) के सातवें सत्र का शुभारंभ किया। उन्होंने तंबाकू नियंत्रण की चुनौती को अत्यंत विकट बताया। उन्होंने कहा,”देश संक्रामक और गैर संचारी रोगों के दोहरे बोझ का सामना कर रहा है। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बहु क्षेत्रीय कार्रवाई और समन्वित पहल अपनाने की जरूरत है।”

श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विशेष संबोधन दिया। नड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि देश में तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले करीब 27.5 करोड़ लोग हैं। तंबाकू के प्रत्यक्ष या परोक्ष इस्तेमाल करने के कारण हर साल करीब 10 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि तंबाकू से संबंधित रोगों के उपचार के कारण भारत पर पड़ने वाला आर्थिक खर्च या स्वास्थ्य संबंधी खर्च 22 अरब डालर है और तंबाकू के इस्तेमाल को 30 फीसद कम करने के लक्ष्य को हासिल करना हमारी पसंद नहीं बल्कि हमारी जरूरत बन गई है।

नड्डा ने कहा कि तंबाकू के इस्तेमाल का चलन अभी भी अस्वीकार्य रूप से काफी अधिक है। इसके कारण होने वाली मौतें भी काफी अधिक हैं। तंबाकू के इस्तेमाल के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल परिणाम से लोगों और सरकारों पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ अधिक है। उन्होंने कहा कि तंबाकू के इस्तेमाल की आदत के परिणामस्वरूप होने वाली मौतों से बचा जा सकता है। इसे रोकने की दिशा में भारत को अभी लंबी दूरी तय करनी है। नए उत्पादों के उभरने से भी कई चुनौतियां सामने आई हैं।

नड्डा ने कहा, “तंबाकू नियंत्रण के संबंध में भारत के समक्ष मौजूदा चुनौती अत्यंत विकट है। हालांकि इन वृहद जटिलताओं के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण ढांचा संधि के संदर्भ में पर्याप्त निवेश से धीरे-धीरे स्थिति बेहतर हो रही है।”

उन्होंने कहा कि यह तंबाकू नियंत्रण गतिविधियों के लिहाज से मील का पत्थर माने जाने वाला वर्ष है क्योंकि देश ने अप्रैल से तंबाकू पैकेट के 85 फीसद हिस्से पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा, “हम इसे अकेले नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रीय इच्छा शक्ति और संसाधनों के साथ हमें तंबाकू के कारण स्वास्थ्य पर बढ़ते बोझ और सामाजिक व आर्थिक बोझ से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ की जरूरत है।”

गौरतलब है कि भारत पहली बार इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण ढांचा संधि पर कांफ्रेंस आफ पार्टिज (सीओपी 7) के सातवें सत्र में दुनिया के विभिन्न देशों के 1500 प्रतिनिधी हिस्सा ले रहे हैं।

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