यूपी चुनावी दंगल: भाजपा को झटका देने के लिए रणनीति बना रही सपा

सौम्या केसरवानी | Navpravah.com

यूपी चुनावों के तिथि घोषित होने के बाद सभी राजनितिक पार्टियाँ एक दूसरे के वोट बैंक तोड़ने पर लगे हैं। उत्तर प्रदेश में इस बार के चुनाव में सपा और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है। हालाँकि पारिवारिक लड़ाई से सपा को नुकसान पंहुचा है, उससे निकलने के लिए अखिलेश यादव ने नई रणनीति बनाई है।

यूपी की जनता को अगर जाति के आधार पर बाँटकर देखा जाए, तो प्रदेश में करीब 8-10 प्रतिशत यादव वोटर हैं। वहीं करीब 25 प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं, जिनमें से करीब 12-15 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। यूपी में गैर-यादव पिछड़ी जातियों का वोट करीब 26 प्रतिशत है।

अखिलेश यादव का अगर कांग्रेस से गठबंधन होता है तो माना जा रहा है कि सपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि दोनों दलों के मिलकर चुनावी अखाड़े में उतरने पर गठबंधन को 35-37 प्रतिशत वोट मिलेंगे, जो राज्य में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त होंगे। साल 2012 में सपा ने करीब 29 प्रतिशत वोट के साथ बहुमत सरकार बनायी थी।

25 प्रतिशत सवर्ण वोट को मुख्यतः बीजेपी का वोटर माना जाता है। बीजेपी के इस वोट बैंक में भेद लगाने के लिए अखिलेश का गठबंधन और सपा के पुराने नेताओं के खिलाफ जंग की दोनों ही कदम कारगर साबित होंगे। सपा नेताओं को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मोहभंग और नोटबंदी जैसे फैसलों से नाराज भाजपा वोटर पाला बदल सकते हैं।

सपा के रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि करीब 10 प्रतिशत यादव वोटों के अलावा करीब 15 प्रतिशत हिंदू वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन आसानी से हासिल कर लेगा। शिवपाल यादव, अमर सिंह, मुख्तार अंसारी इत्यादि से अखिलेश यादव की सीधी टक्कर का फायदा पार्टी को मिल सकता है। कई महीनों तक चले इस टकराव से अखिलेश की छवि “दलाल, भ्रष्ट और गुंडा” तत्वों को किसी भी कीमत पर न बर्दाश्त करने वाले नेता की बनी है।

साल 2012 के विधान सभा चुनाव में अखिलेश को युवाओं का काफी वोट मिला था। सपा को उम्मीद है कि इस बार चूंकि अखिलेश पहले से मजबूत और सपा के निर्विवाद सुप्रीमो बनकर उभरे हैं, तो पार्टी को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.