जज ने सोनिया को लिखा पत्र, कहा, राजीव के हत्यारों को माफ कर दीजिए

राजीव गाँधी के हत्यारे
राजेश सोनी । Navpravah.com
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु में कर दी गयी थी। राजीव गाँधी के हत्यारों को सजा देने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थॉमस ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर उदारता दिखाने के लिए कहा और हत्यारों को माफ करने की गुजारिश की।
18 अक्टूबर को लिखे अपने पत्र में न्यायाधीश थॉमस ने सोनिया गाँधी से कहा कि तमिलनाडु सरकार इन दोषियों की सजा कम करने का फैसला वर्ष 2014 में ही ले चुकी है, पर इस फैसले का तत्कालीन केंद्र सरकार ने विरोध किया था। अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। थॉमस ने आगे अपने पत्र में लिखा “अगर संभव हो तो आप और राहुल, राष्ट्रपति से हत्यारों को माफ करने के लिए अनुरोध करें तो शायद वे मान जाएं।
आगे थॉमस अपने पत्र में लिखते हैं, “मुझे ये मामला मानवीय संवेदना का लगता है, जिसमें आप ही मदद कर सकते हैं। इस मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश होने के नाते मुझे महसूस हुआ है कि मुझे आपको पत्र लिखना चाहिए, जिसके कारण आप इस मामले में उदारता से पेश आ सकें। न्यायाधीश थॉमस ने कहा, अगर सोनिया गाँधी राजीव गाँधी के हत्यारों के प्रति उदारता दिखाएँ और उनकी सजा माफ़ कर दें तो ईश्वर उनसे बहुत प्रसन्न होगा।”
15 नवम्बर को इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में थॉमस ने स्पष्ट किया कि उन्होंने 18 अक्टूबर को सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर कहा था कि दोषियों की बाकी सजा माफ़ कर दी जाए। थॉमस ने अपने पत्र में दिए गए सुझाव को सही ठहराने के लिए 1964 में “महात्मा गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे का उदाहरण दिया और उसकी रिहाई का जिक्र भी किया। गोपाल गोडसे को हत्या की साजिश का दोषी पाया गया था लेकिन उसे 14 साल की सजा के बाद आजाद कर दिया गया था।
मई 1999 को न्यायाधीश थॉमस, न्यायाधीश डीपी वाधवा,और न्यायाधीश सैयद शाह मोहम्मद कादरी ने सात लोगों को राजीव गाँधी हत्या के मामले में दोषी पाया था। 7 दोषियों में से 4 को मौत की सजा और 3 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। राजीव गाँधी के हत्या के समय मौजूद अभियुक्त नलिनी को मिली मौत की सजा के खिलाफ जस्टिस थॉमस ने असंतोष व्यक्त किया था और उनके आजीवन कारावास की सजा की वकालत की थी। उसके बाद ही साल 2000 में नलिनी की मौत की सजा को कम कर के उम्रकैद कर दिया गया था।

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