शिक्षक दिवस के एक दिन पूर्व मोदी की क्लास

शिखा पाण्डेय@नवप्रवाह.कॉम,

Shikha pandeyप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस से एक दिन पहले दिल्ली के मानेकशॉ ऑडिटोरियम में स्कूली बच्चों को सम्बोधित किया और वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये विभिन्न राज्यों के छात्रों से बात चीत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षकों का विद्यार्थियों के जीवन में बहुत अधिक महत्त्व होता है। माँ बच्चे को जन्म देती है , शिक्षक उसे जीवन देता है।

एक निश्चित समय के पश्चात बच्चा अधिकतर समय स्कूल में शिक्षकों के संपर्क में व्यतीत करता है व उनकी कही बातें बच्चों के जीवन का हिस्सा बन जाती हैं। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि यह दिन सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन  के अवसर पर इसलिए मनाया जाता है क्योंकि डॉ.राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनने पर सभी चाहते थे कि उनका जन्मदिन एक खास दिन की तरह मनाया जाए तब  उन्होंने कहा कि ५ सितम्बर उनके जन्मदिन के रूप में नहीं बल्कि  शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। इस मौके पर उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम व उनके शिक्षक जीवन को भी याद किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता।
डॉ. कलाम ने अपने जीवन की अंतिम साँस भी शिक्षा को समर्पित की और उनकी यही इच्छा थी कि दुनिया उन्हें यदि याद करे तो एक शिक्षक के रूप में याद करे. उन्होंने  यह भी कहा कि अगर कोई डॉक्टर , इंजीनियर , वैज्ञानिक ,कोई भी उपलब्धि हासिल करता है तो सारा श्रेय उसे मिलता है ,जबकि उसे इस स्तर पर पहुंचाने में  उसके शिक्षकों का बहुत  बड़ा योगदान होता है। उन्होंने बच्चों से कहा कि जिनमें नेतृत्त्व की क्षमता है व समाजसेवा की भावना है उन्हें राजनीति में अवश्य आना चाहिए क्योंकि राजनीति के बदनाम होने के कारण अच्छे व शिक्षित लोग राजनीति में आने से डरते हैं।

प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से अनुरोध किया कि माता पिता को अपनी इच्छाएं बच्चों पर ज़बरदस्ती नहीं लादनी चाहिए। बचपन से बच्चों की रुचि व उनकी क्षमता पहचान कर उन्हें उसी दिशा में  आगे बढ़ाना चाहिए। तभी आगे चलकर वे अपने काम को मन लगाकर बेहतर से बेहतर बना पाएंगे और अंततः उन्हें इस बात की संतुष्टि रहेगी कि उन्हें अपनी रूचि अनुसार कार्य क्षेत्र चुनने का अवसर मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यालयों को अपने छात्र छात्राओं को कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने की बजाय उनकी योग्यता के अनुसार एप्टीट्यूड सर्टिफिकेट देना चाहिए। कई गाँवों में बिजली की अप्राप्यता के सवाल व डिजिटल इंडिया के प्रसार पर उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत के वे १८००० गाँव जिनमें आज भी बिजली  उपलब्ध नहीं है वहां अगले १००० दिनों में बिजली पहुँचेगी और २०२२ तक पूरे देश में २४ घंटे बिजली उपलब्ध होगी, क्योंकि गुड गवर्नेन्स के लिए ई- गवर्नेन्स आवश्यक है और इसके लिए डिजिटल इंडिया का सपना साकार होना ज़रूरी है।

उन्होंने शिक्षकों से भी निवेदन किया कि वे अपने यादगार विद्यार्थियों पर लेख लिखें। उन्होंने हर शिक्षित
व्यक्ति से निवेदन किया कि वे सप्ताह में एक घंटा या साल भर में मात्र १०० घंटे किसी को शिक्षित करने में बिताएं। यदि  प्रत्येक नागरिक अपनी ये ज़िम्मेदारी समझे तो देश का नक्शा ही बदल जाएगा व हर कोई इस प्रकार देश की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.